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Farmers Protest: सरकार का प्रस्ताव किसानों ने क्यों ठुकराया, केंद्र के सुझाव में क्या-क्या था? जानें अगला कदम

Kanishka Chaturvedi
20 Feb 2024 10:01 AM GMT
Farmers Protest:  सरकार का प्रस्ताव किसानों ने क्यों ठुकराया, केंद्र के सुझाव में क्या-क्या था? जानें अगला कदम
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देश में एक बार फिर किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। पंजाब के किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का आह्वान किया था। हालांकि, उन्हें हरियाणा सीमा पर रोक दिया गया। इस गतिरोध के बीच किसान और सरकार के बीच चार दौर की वार्ता भी हो चुकी है। चौथी वार्ता में केंद्र सरकार की ओर से मसूर, उड़द, अरहर, मक्का और कपास की फसल पर अनुबंध की शर्त पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का प्रस्ताव दिया गया था। हालांकि, किसानों ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है।

सरकार ने किसानों के सामने क्या-क्या प्रस्ताव रखे थे?

13 फरवरी से शुरू हुए किसान आंदोलन में किसान संगठनों की सबसे बड़ी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर है। उनका कहना है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों पर एमएसपी मिले। पिछले किसान आंदोलन में भी यह मांग प्रमुख थी।

एमएसपी सहित अन्य मांगों को लेकर किसान और सरकार के बीच पिछले कुछ दिनों में चार वार्ताएं हो चुकी हैं। अंतिम वार्ता रविवार (18 फरवरी) को हुई थी। इसमें सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय ने हिस्सा लिया।

पीयूष गोयल के मुताबिक, सरकार ने मिलकर एक बहुत ही सुलझा हुआ विचार प्रस्तावित किया। सरकार समर्थित राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता (एनसीसीएफ) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नफेड) जैसी सहकारी समितियां अगले पांच साल के लिए एक अनुबंध करेंगी। इस अनुबंध के तहत समितियां किसानों से एमएसपी पर उत्पाद खरीदेंगी, जिसमें मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी। सरकार के अनुसार ये समितियां एमएसपी पर कपास और मक्का के अलावा तीन दालों अरहर, उड़द और मसूर की खरीद करने के लिए तैयार हैं।

इसके अलावा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) एमएसपी पर फसल खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का कानूनी समझौता करेगा। इसके साथ ही पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव से पंजाब में फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा और भूजल स्तर में सुधरेगा।

सरकार के प्रस्तावों पर किसान संगठनों ने क्या कहा?

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) सहित आंदोलनकारी किसान संगठनों ने केंद्र द्वारा रखे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

वार्ता का हिस्सा रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सरकार की मंशा पर संदेह जताया है। डल्लेवाल ने सरकार को सभी 23 फसलों को कवर करते हुए एमएसपी के लिए एक व्यापक फॉर्मूला तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डल्लेवाल ने कहा कि वह फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। डल्लेवाल ने कहा कि उन्होंने सभी किसान संगठनों के साथ बातचीत की, लेकिन पांच फसलों पर पांच साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट वाले प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पा रही।

...आखिर किसानों ने क्यों ठुकराया सरकार का प्रस्ताव?

सरकार के प्रस्तावों को नामंजूर करते हुए कई कारण गिनाए हैं। किसान नेता रणजीत राजू ने कहा कि सरकार का एमएसपी से जुड़ा प्रस्ताव किसी काम का नहीं है। अगर किसान धान छोड़कर मक्का, बाजरा या कोई दूसरी फसल बोते हैं तो एमएसपी दिया जाएगा। मगर धान और गेहूं पंजाब हरियाणा में है। हरियाणा में भी कुछ क्षेत्र में ही धान होता है।

किसान नेता रणजीत राजू ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के अलावा जो दूसरे राज्य हैं वह क्या करेंगे। जैसे राजस्थान में किसान तो चना, सरसों, गेहूं, ग्वार, बाजरा, ज्वार, अरहर, उड़द और दूसरी फसल बोते हैं, उनका क्या होगा। अब कर्नाटक की तरफ किसान बीज की खेती करता है उसे कैसे इस फॉर्मूले से एमएसपी मिलेगा। सरकार को सभी किसानों की तरफ देखना होगा।

अब अगला कदम क्या होगा?

किसान नेता जयसिंह जलबेड़ा ने कहा कि 21 फरवरी को हम दिल्ली कूच के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। पहले हमारी कोशिश है कि शांतिपूर्ण वार्ता से हल निकल जाए, अगर हल नहीं निकलता है तो दिल्ली कूच करेंगे। चाहें फिर टकराव में लाठियां और आंसू गैस के गोले ही क्यों न झेलने पड़ जाएं।

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