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वीवो के खिलाफ ईडी ने आरोप पत्र दाखिल किया, मुखौटा कंपनियों के जरिए एक लाख करोड़ रुपये चीन भेजने का आरोप |
ईडी के अनुसार उसे पता चला है कि चीनी फोन निर्माता ने 2014 में भारतीय धरती पर प्रवेश करने के बाद विभिन्न भारतीय शहरों में 19 और कंपनियां स्थापित की थीं। इन कंपनियों में चीनी नागरिक उनके निदेशकों और/ या शेयरधारकों के रूप में थे और भारत में वीवो मोबाइल्स की पूरी आपूर्ति शृंखला को नियंत्रित करते थे।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा है कि उसने चीनी फोन निर्माता वीवो के खिलाफ अपनी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में आरोप पत्र दायर किया है। एजेंसी ने आरोप पत्र में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं। ईडी ने कहा है कि वीवो ने 2014 से 2021 के बीच भारत के बाहर एक लाख करोड़ रुपये भेजने के लिए शेल यानी मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल किया।
अक्टूबर में ईडी ने लावा इंटरनेशनल कंपनी के एमडी हरि ओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्रयू कुआंग और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक को इस मामले में गिरफ्तार किया था।
2022 में अपनी जांच शुरू करने वाले ईडी ने पिछले साल जुलाई में वीवो-इंडिया और उससे जुड़े व्यक्तियों पर छापा मारा था, जिसमें चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया गया था।
दिल्ली की एक विशेष अदालत के समक्ष बुधवार को दायर आरोपपत्र में ईडी ने राय, गुआंगवेन क्यांग उर्फ एंड्रयू कुआंग, गर्ग और मलिक को ''भारत से बड़ी रकम'' बाहर भेजने के लिए नामजद किया है।
ईडी के अनुसार उसे पता चला है कि चीनी फोन निर्माता ने 2014 में भारतीय धरती पर प्रवेश करने के बाद विभिन्न भारतीय शहरों में 19 और कंपनियां स्थापित की थीं। इन कंपनियों में चीनी नागरिक उनके निदेशकों और/ या शेयरधारकों के रूप में थे और भारत में वीवो मोबाइल्स की पूरी आपूर्ति शृंखला को नियंत्रित करते थे।
अपने रिमांड आवेदन में ईडी ने आरोप लगाया था कि आरोपित ने पूरे देश में एक विस्तृत चीनी-नियंत्रित नेटवर्क स्थापित करने के लिए "छद्म और कपटपूर्ण तरीके से भारत में प्रवेश करके सरकार को धोखा दिया था। कंपनी ने भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक गतिविधियों को अंजाम दिया।"