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दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने मैदान गढ़ी में सरकारी स्कूल के नये अकेडमिक ब्लॉक का किया उद्घाटन, कहा- 2015 से पहले सरकारी स्कूल बदहाल थे
नई दिल्ली। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने आज बुधवार को छतरपुर के मैदान गढ़ी में सरकारी सह-शिक्षा माध्यमिक विद्यालय के नए अकेडमिक ब्लॉक का उद्घाटन किया। स्कूल के चार मंजिला नये ब्लॉक में 20 कमरे, नई लैब और लाइब्रेरी समेत कई अन्य विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं।
इस दौरान शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि जिस मैदान गढ़ी गांव में सड़क बनाने तक की जगह नहीं है, वहां केजरीवाल सरकार ने शानदार 4 मंजिला स्कूल बनाया है। कुछ साल पहले यहां टूटी हुई टिन के कमरे में स्कूल चलता था। माता-पिता अपने बच्चों को यहां दिल पर पत्थर रखकर भेजते थे लेकिन आज स्थिति बदल गई है। आज मैदानगढ़ी और उसके आस पास के बच्चे यहां विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त करेंगे।
आतिशी ने स्कूलों की हालात को लेकर पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली में शिक्षा क्रांति की शुरुआत 2015 से हुई। उससे पहले दिल्ली के सरकारी स्कूल बदहाल थे। हर तरफ बदबू आती थी। शिक्षक नहीं होते थे। स्कूलों की बदहाली की वजह से बच्चे स्कूल नहीं आते थे। माता-पिता भी जर्जर भवनों में चल रहे स्कूलों में बच्चों को भेजने से बचते थे। दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था खस्ताहाल थी।
शिक्षा मंत्री ने स्कूलों की हालात को लेकर अपनी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि कहा कि दिल्ली में गरीब परिवारों के बच्चे पहले अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते थे लेकिन 2015 में दिल्ली में चमत्कार हुआ और दिल्ली के हाथ की लकीर बदलने वाले अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बन गए। केजरीवाल ने दिल्ली के बच्चों के हाथ की लकीर बदल दी। उन्होंने राज्य के बजट का 25% हिस्सा शिक्षा के लिए दिया। बजट का इतना बड़ा हिस्सा शिक्षा पर देश के किसी और राज्य में नहीं लगाया जाता है।
आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने स्कूलों की हालत सुधारने के साथ-साथ अध्यापकों को विदेशों में ट्रेनिंग के लिए भेजा। दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षकों को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और सिंगापुर में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। इसके अलावा आईआईएम अहमदाबाद में प्रिंसिपलों को ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। शिक्षकों की ट्रेनिंग का बजट 10 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार की शिक्षा क्रांति का असर दिल्ली में दिख रहा है। अब सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए सिफ़ारिश आती हैं। दिल्ली में शिक्षा की तस्वीर बदल चुकी है। सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से बेहतर आ रहे हैं। पिछले 3 साल में 4 लाख से ज्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अब जेईई-नीट की परीक्षा क्लियर कर रहे हैं।