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कांग्रेस को मिलीं 17 सीटों में से नौ उम्मीदवार तय, जानिए कौन-कहां से लड़ सकता है चुनाव
सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया है। कांग्रेस यूपी में 17 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। इन 17 में से नौ सीटों के उम्मीदवार करीब-करीब तय हो गए हैं। जानिए उम्मीदवारों के बारे में।
कांग्रेस को गठबंधन के तहत मिली 17 सीटों में अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार के नाम पर अभी भी संशय बना हुआ है। यहां से राहुल या प्रियंका मैदान में आएंगी अथवा कोई नया नाम सामने आएगा, इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। नौ सीटों पर उम्मीदवारों के नाम करीब- करीब तय हैं, बस संसदीय बोर्ड की बैठक में घोषणा होना बाकी है।
कांग्रेस ने गठबंधन घोषित होने से पहले 30 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची तैयार की थी, गठबंधन में उसे 17 सीटें मिली हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने वाराणसी से प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को फिर से उम्मीदवार बनाने का मन बना लिया है। वह पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। 2019 के चुनाव में उन्हें 14.44 फीसदी वोट मिले थे। सहारनपुर में 2019 के चुनाव में इमरान मसूद तीसरे स्थान पर थे, इस बार कांग्रेस फिर उन्हें उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है। अमरोहा से बसपा सांसद दानिश अली को उतारने की तैयारी है, वे बसपा से निष्कासित किए जा चुके हैं। सीतापुर में भाजपा से इस्तीफा देकर वाया सपा कांग्रेस में आए पूर्व विधायक राकेश राठौर को उम्मीदवार बनाने की तैयारी है। कांग्रेस इन तीनों सीटों को खुद के लिए मुफीद मान रही है। बाराबंकी से तनुज पुनिया, झांसी से पूर्व सांसद प्रदीप जैन, गाजियाबाद से डॉली शर्मा, महराजगंज से विधायक वीरेंद्र चौधरी, फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार उम्मीदवार हो सकते हैं।
इसी तरह कानपुर नगर से आलोक मिश्र, अजय कपूर, विकास अवस्थी और करिश्मा के नाम पर विचार चल रहा है। मथुरा से पूर्व एमएलसी प्रदीप माथुर अथवा पंडित राजकुमार रावत, देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह और अजय लल्लू, बांसगांव से कमल किशोर अथवा अनूप प्रसाद, बुलंदशहर में बंशी सिंह व एक अन्य के नाम पर विचार चल रहा है। प्रयागराज सीट पर पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह अथवा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव के नाम पर विचार चल रहा है। हालांकि अभी उम्मीदवारों के संबंध में अधिकृत घोषणा नहीं की गई है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और यूपी के प्रभारी अविनाश कुमार पांडेय के मुताबिक गठबंधन में मिली 17 सीटों के उम्मीदवारों के नाम संसदीय बोर्ड में रखे जाएंगे, वहीं से इनके नाम की घोषणा होगी।
लोकसभा में पहली बार एक साथ सपा और कांग्रेस
सपा और कांग्रेस के बीच पहली बार लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन हो रहा है, ऐसे में दोनों की साख दांव पर है। फिलहाल कांग्रेस के खाते में आई 17 सीटों में सिर्फ रायबरेली कांग्रेस के पास है। पिछले चुनाव में अमेठी, कानपुर और फतेहपुर सीकरी में कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थे। इसी तरह सहारनपुर, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी, देवरिया तीसरे स्थान पर रही है। इससे पहले विधानसभा चुनाव 2017 में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था। तब यह गठबंधन करिश्मा नहीं दिखा पाया था।
विधानसभा चुनाव के गठबंधन में कांग्रेस को 105 सीटें मिली थीं। वह सात जीत कर 6.25 फीसदी वोटबैंक हासिल कर पाई थी। जबकि, सपा 298 सीटों पर मैदान में उतरी और 21.82 फीसदी वोटबैंक हासिल कर 47 सीट जीती थीं। दोनों पार्टियों को मिलाकर 28.07 फीसदी वोट मिला था। इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के बीच गठबंधन हुआ, जिसमें बसपा 19.43 फीसदी वोट हासिल कर 10 सीटें और सपा 18.11 फीसदी वोट हासिल कर पांच सीटें जीतने में कामयाब रही थी। कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली सीट मिली और उसे 6.36 फीसदी वोट मिला। भाजपा 49.98 फीसदी वोट के साथ 62 सीट और उसकी सहयोगी अपना दल एस 1.21 फीसदी वोटबैंक के साथ दो सीटें जीतने में कामयाब हुई थी