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उत्तराखंड। जोशीमठ भू धंसाव की रिपोर्ट सार्वजनिक, NTPC जिम्मेदार नहीं
देहरादून। जोशीमठ में भूस्खलन को लेकर केंद्रीय संस्थान भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में एनटीपीसी को क्लीन चिट दे दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव या भूस्खलन के लिए एनटीपीसी की परियोजना जिम्मेदार नहीं है।
जानकारी के अनुसार चीन सीमा से सटे चमोली जिले के जोशीमठ शहर में लगातार हो रहे भूधंसाव से भयभीत नागरिकों के सड़कों पर उतरने के बाद जिला प्रशासन ने पांच जनवरी को क्षेत्र में चल रहे सभी निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार का मानना था कि एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना की टनल और बीआरओ द्वारा किए जा रहे हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण से नगर पर भूधंसाव का खतरा बढ़ रहा है।
इस संबंध में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अधीन रुड़की स्थित एनआईएच ने उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जोशीमठ शहर में जेपी कालोनी में पानी के तेज बहाव का जल विद्युत परियोजना से कोई संबंध नहीं है।
एनआइएच की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी संभावना हो सकती है कि कुछ अस्थायी भंडारण बनाया गया था जो किसी उप-सतह चैनल के अवरोध के कारण कमजोर बिंदु पर पानी संग्रहीत होने के चलते हाइड्रोस्टेटिक दबाव बढ़ने से, क्षेत्र की मिट्टी पानी की क्षमता से अधिक होने के कारण फट गया होगा।
जोशीमठ में धंसाव की समस्या इस साल की शुरुआत में 2 जनवरी की रात को बड़े गंदे पानी के प्रवाह के साथ एक नया जलभृत फटने से अचानक बढ़ गई थी।
तो वहीं जीएसआई के अध्ययन के मुताबिक, प्रथमा दृष्टया में एचआरटी का एलाइनमेंट जोशीमठ के शहरी विस्तार से 1.1 किलोमीटर की दूरी पर है, इसलिए ऐसा लगता नहीं है कि विस्फोट से होने वाली कोई भी क्षति जोशीमठ की वर्तमान स्थिति से संबंधित होगी। इस खंड की खुदाई एक सुरंग बोरिंग मशीन का उपयोग करके की गई थी, जो विस्फोट के बिना सुरंग बनाने का एक गैर-विनाशकारी रूप है।