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चुनाव से पहले भाजपा का दांव, विशेषज्ञों से जानिए मुस्लिम किस आधार पर करेंगे मतदान

Sanjiv Kumar
12 March 2024 6:13 AM GMT
चुनाव से पहले भाजपा का दांव, विशेषज्ञों से जानिए मुस्लिम किस आधार पर करेंगे मतदान
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भाजपा ने सीएए से ध्रुवीकरण को धार दी है। चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन कानून लागू करने से मुसलमानों के मन में तमाम आशंकाएं हैं। विश्लेषकों ने कहा कि मुसलमानों के वोटिंग पैटर्न में बदलाव के आसार न के बराबर हैं।

आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुत कुछ बदला, पर भाजपा को लेकर मुस्लिम मतदाताओं का रुख बदस्तूर कायम रहा। सीएसडीएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन चुनावों में करीब 8 प्रतिशत मुसलमानों ने ही भाजपा को वोट दिया।

वर्ष 2019 में जब नागरिकता संशोधन बिल लाया गया तो इसके खिलाफ पूरे देश में आंदोलन हुए। तब आंदोलन में शामिल मुस्लिमों का मानना था कि यह कानून भेदभावपूर्ण है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिमों को तो नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन मुसलमानों को यह सुविधा नहीं दी गई है। उनके मन में यह बात घर कर गई कि इस कानून से मुसलमानों की नागरिकता भी खतरे में पड़ सकती है।

यही वजह रही कि 2019 के बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी मुसलमानों का पहले वाला वोटिंग पैटर्न कायम रहा। वर्ष 2020 मेंे बिहार के विधानसभा चुनाव में 77 प्रतिशत मुस्लिम वोट महागठबंधन को मिले थे। 2021 के पश्चिमी बंगाल के चुनाव में 75 प्रतिशत मुस्लिम वोट तृणमूल कांग्रेस को मिले।

वर्ष 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में 79 प्रतिशत मुसलमानों ने सपा को वोट किया। इसकी वजह थी कि ये पार्टियां भाजपा के खिलाफ मजबूती से लड़ रही थीं। हालांकि, अब आलिम सीएए कानून से न डरने या फिर लीगल टीम के अध्ययन के बाद प्रतिक्रिया देने की बात कह रहे हैं। वहीं, सीएए को लेकर अधिसूचना जारी होते ही विपक्षी पार्टियों ने भी मुस्लिमों के मन में उठ रही शंकाओं को मुद्दे का रूप देना शुरू कर दिया है, ताकि लोकसभा चुनाव में नफा-नुकसान के लिहाज से अपनी रणनीति तैयार कर सकें।

मुसलमानों को साधने की लगातार कोशिश कर रही भाजपा

उत्तर प्रदेश की करीब 29 लोकसभा सीटें मुस्लिम बहुल हैं। यही वजह है कि भाजपा ने पसमांदा मुस्लिम समाज को साधने के लिए दो साल पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। योगी सरकार-2 में पसमांदा समाज के दानिश आजाद अंसारी को राज्यमंत्री बनाया गया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने के साथ विधान परिषद में भेजा गया।

इतना ही नहीं स्थानीय निकाय चुनावों में भी भाजपा ने नगर पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष और सभासद पद पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे। पांच नगर पंचायत अध्यक्ष और 90 सभासद एवं पार्षद चुने गए। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से मोदी सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए शुक्रिया मोदी भाई जान अभियान चलाया जा रहा है।

वहीं कौमी चौपाल और स्नेह संवाद के जरिये भी मुस्लिमों के बीच मोदी सरकार की उपलब्धियां पहुंचाई जा रही है। यूपी में पीएम आवास में से लगभग 19 लाख आवास मुसलमानों को मिले। 2.61 करोड़ मुस्लिमों को मुफ्त राशन का लाभ मिल रहा है। 2 लाख गरीब मुस्लिमों की शादी में आर्थिक मदद दी गई है। आयुष्मान भारत में 28, किसान सम्मान निधि में 22 और शौचालय निर्माण योजना में 23 फीसदी हिस्सेदारी मुस्लिमों की है।

भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों के लिए सऊदी अरब से आग्रह कर न सिर्फ हज का कोटा बढ़वाया, बल्कि उस पर लगने वाली जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया। मोदी सरकार ने ही 6 लाख से ज्यादा वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के कागजातों का डिजिटलीकरण करवाने का काम किया है।

पसमांदा विचारक और जेएनयू के पूर्व अतिथि शिक्षक डॉ. अरशद आलम कहते हैं कि इन सब प्रयासों के चलते पसमांदा मुसलमानों का एक हिस्सा भाजपा के करीब आया है। 10-12 फीसदी पसमांदा मुसलमानों का झुकाव इस समय भाजपा की ओर है। यूपी में अंसारी बिरादरी को राज्य मंत्रिमंडल में भागीदारी दी गई है, जो पसमांदा का सबसे बड़ा हिस्सा है। साथ ही वह यह भी मानते हैं कि मौजूदा परिस्थितियों में मुसलमानों का बड़ा हिस्सा उधर ही जाएगा, जो भाजपा को हरा रहा होगा।

यूपी में ये सीटें प्रभावित करते हैं मुसलमान

यूपी में सहारनपुर, संभल, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, कैराना, बरेली, पीलीभीत, बिजनौर, नगीना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, श्रावस्ती, बहराइच, डुमरियागंज, बागपत, बुलंदशहर, अलीगढ़, कैसरगंज, गोंडा, बाराबंकी, बदायूं व आंवला आदि 29 सीटें मुस्लिम बहुल हैं।

मुस्लिमों की घटी कुछ हासिल करने की क्षमता : दिलीप मंडल

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल कहते हैं कि अयोध्या का ढांचा गिराए जाने के बाद से मुस्लिम मतदाताओं का वोटिंग पैटर्न एक जैसा रहता है। भाजपा को हराने में जो पार्टी सबसे ज्यादा सक्षम दिखती है, मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण उसी ओर होता है। किसी भी राज्य में यह पैटर्न बदला हुआ नहीं दिखा है। यही पैटर्न जारी रहने की उम्मीद है।

दूसरी बात, समुदाय के तौर पर किसी एक धुरी में कोई बंध जाता है या अपनी पोजिशन फिक्स कर लेता है, तो उसकी निगोशिएशन (समझौता) करने की क्षमता घट जाती है। निश्चित तौर पर इससे उस समुदाय को नुकसान होता है। हो सकता है कि उनके (मुसलमानों) पास कोई विकल्प न हो, इसलिए उन्हें अपनी पोजिशन फिक्स करनी पड़ी हो।

नागरिकता छीनने के लिए नहीं है सीएए : मौलाना शहाबुद्दीन

बरेलवी मसलक के आलिम मौलाना शहाबुद्दीन का कहना है कि सीएए से किसी की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती। इसलिए हम इस कानून का स्वागत करते हैं। तीन तलाक भी इस चुनाव में कोई मुद्दा नहीं होगा। लाभार्थीपरक योजनाओं का लाभ मुसलमानों को भी मिला है। इसलिए 8-10 फीसदी मुस्लिम वोट भाजपा को भी मिलने की उम्मीद है। साथ ही वे यह भी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में मुसलमानों का रुझान कांग्रेस की तरफ बढ़ रहा है।

मुसलमान यह तो समझ चुका है कि सपा के साथ जुड़कर उसे कोई खास लाभ नहीं हुआ, लेकिन यह बात भी सही है कि इंडिया गठबंधन उसकी पसंद है। जहां बसपा मुस्लिम प्रत्याशी उतारेगी, इंडिया का प्रत्याशी गैर मुस्लिम होने की स्थिति में वहां मुस्लिम मतदाता बसपा की ओर जा सकता है। मौलाना शहाबुद्दीन कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक मुसलमानों को निशाना बनाते हुए कुछ भी नहीं बोला है।

देश के लोग बाहर जाने को मजबूर, तब सीएए लाने से क्या फायदा : अखिलेश

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीएए कानून पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब देश के नागरिक रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता कानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 वर्षों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गए। वे आगे कहते हैं कि चाहे कुछ हो जाए, कल (मंगलवार) को ‘इलेक्टोरल बांड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फंड’ का भी।

चुनाव का हथकंडा अपना रही है भाजपा : राय

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि भाजपा हर चुनाव के दौरान कोई न कोई हथकंडा अपनाती है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर मतदाताओं का रुझान बढ़ा है। इससे घबराई भाजपा सरकार ने सीएए का सहारा लिया है। यह यह इलेक्टोरल बांड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख्ती के बाद जारी किया गया है। इससे इसकी हकीकत का अंदाजा लगाया जा सकता है।

अफवाहों पर न दें ध्यान, अमन बनाए रखें : फरंगी महली

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी सदस्य एवं ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अधिसूचना जारी होने पर नजरिया पेश करना अभी सही नहीं है। सीएए पर जारी मसौदे के अध्ययन के बाद ही नजरिया पेश किया जा सकता है। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि सीएए को लेकर किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें अमन बनाए रखें।

लोगों का संदेह दूर करने के बाद लागू करते सीएए : मायावती

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा सीएए की अधिसूचना जारी होने पर प्रतिक्रिया दी है। सोमवार को एक्स पर लिखा कि केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून को चुनाव से पहले लागू करने के बजाय इसको लेकर लोगों के मन में जो संदेह, असमंजस व आशंकाएं हैं, उन्हें पूरी तरह दूर करना चाहिए। इसके बाद ही इसे लागू किया जाना ही बेहतर होता।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आना चाहिए था सीएए का नोटिफिकेशन : पर्सनल लॉ बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. कासिम रसूल इलियास ने कहा कि सीएए के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हैं। इन पर सुनवाई होनी बाकी है। ऐसे में सरकार को सुप्रीम कोर्ट से सीएए पर फैसला आने के बाद अधिसूचना जारी करनी चाहिए थी।

उन्होंने कहा कि बोर्ड की लीगल कमेटी अधिसूचना का अध्ययन करेगी, इसके बाद बोर्ड अपना नजरिया पेश करेगा। मेरा कहना है कि दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों को पहले से ही नागरिकता दी जा रही है। लिहाजा सीएए कानून लागू होने से दूसरे देशों के लोगों को बड़े पैमाने पर नागरिकता दी जाएगी। सवाल ये है कि देश में रहने वाले नागरिकों को क्या बुनियादी अधिकार पूरी तरह से मिल रहे हैं।

Sanjiv Kumar

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