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जीत के लिए भाजपा ने बिछाई नई बिसात, जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों से आस; इन्हें साधने की कोशिश
लोकसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा ने नई बिसात बिछाई है। जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों से आस है। प्रदेश के आठ लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्येक से कम से कम एक विधायक को भाजपा ने मंत्री बनाया है। जहां भाजपा मजबूत, उसी क्षेत्र में भाजपा ने दांव खेला है। हुड्डा के गढ़ रोहतक और सोनीपत को संगठन में तवज्जो देने की तैयारी है।
लोकसभा की दसों सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने रणनीति बदलते हुए मंत्रिमंडल विस्तार के माध्यम से नई बिसात बिछा दी है। मंत्रिमंडल विस्तार पूरी तरह से लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है और जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद प्रदेश के आठ लोकसभा क्षेत्रों में कम से कम एक विधायक को मंत्री या राज्य मंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व दिया गया है। खास बात ये है कि जहां पर भाजपा मजबूत है, वहीं नए चेहरों को मंत्री पद का तोहफा दिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक और सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में जहां भाजपा कमजोर है, वहां किसी नेता को मौका नहीं दिया गया है। अब संतुलन बनाने के लिए रोहतक से पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर या सोनीपत से मोहन लाल बड़ौली को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है।
जाटों, वैश्य और पंजाबियों को साधने की कोशिश
नए मंत्रिमंडल में खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी ओबीसी चेहरा हैं, जबकि नए मंत्रिमंडल विस्तार से जाटों, वैश्य और पंजाबियों को साधने की कोशिश की है। अनुसूचित जाति में भी बनाया संतुलन, राजपूत को भी सरकार में प्रतिनिधित्व दिया है। मनोहर कैबिनेट के मुकाबले मंत्रिमंडल में जाटों की संख्या कम है, लेकिन इस बार वैश्य कोटे को अधिक तवज्जो मिली है।
वैश्य कोटे से पंचकूला विधायक ज्ञानचंद गुप्ता को पहले ही विधानसभा स्पीकर बनाया हुआ है। वहीं हिसार विधायक डॉ़ कमल गुप्ता को फिर से कैबिनेट मंत्री के तौर पर सरकार में शामिल होने का मौका मिला है। तीसरे वैश्य के रूप में अंबाला सिटी विधायक असीम गोयल की राज्य मंत्री के रूप में लाटरी लगी है।
मंत्रिमंडल में जाट समाज से 3, वैशय समाज, पंजाबी और अनुसूचित जाति से 2-2, यादव समाज, राजपूत, गुर्जर और ब्राह्मण समाज से 1-1 विधायक को मौका दिया गया है। अधिकतर उन्हीं जातियों के विधायकों को मौका दिया गया है, जिनका प्रदेश में मत प्रतिशत अधिक है। बता दें कि हरियाणा में जाट मतदाता 25 प्रतिशत अहीर-पंजाबी 13-13 फीसदी, सिख 7, ब्राह्मण 10, वैश्य 4, सैनी 8, राजपूत 4, बिश्नोई , 7 गुर्जर 4 और 5 प्रतिशत अन्य जातियों के मतदाता हैं।
अंबाला लोकसभा सबसे मजबूत
अगर लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से प्रतिनिधित्व की बात करें तो अंबाला लोकसभा सबसे मजूबत है। मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद अंबाला से ताल्लुक रखते हैं। साथ ही अनिल विज की नाराजगी के चलते अंबाला शहर से विधायक असीम गोयल की लाटरी लग गई। यमुनानगर से कंवरपाल गुर्जर को कैबिनेट में नंबर-2 का दर्जा प्राप्त है। पंचकूला से विधायक ज्ञानचंद गुप्ता विधानसभा अध्यक्ष हैं और पंचकूला भी अंबाला लोकसभा क्षेत्र ही हिस्सा है।
सुधा पर कुरुक्षेत्र की जिम्मेदारी
भाजपा ने कुरुक्षेत्र में थानेसर से विधायक सुभाष सुधा पर दांव खेला है और कैथल के कलायत से विधायक कमलेश ढांडा को हटाया गया है। इसके अलावा पिहोवा से संदीप सिंह भी मनोहर सरकार में मंत्री थे। करनाल लोकसभा में नायब सैनी खुद उप चुनाव में विधायक के उम्मीदवार हैं और पानीपत ग्रामीण से महिपाल ढांडा को मौका देकर जाटों को साधने की कोशिश की गई है, क्योंकि यहां से खुद पूर्व सीएम मनोहर लाल लोकसभा के प्रत्याशी हैं।
भिवानी में जाट और अहीरवाल को साधने की कोशिश
भिवानी में पहले से जेपी दलाल कैबिनेट में जाट चेहरे के तौर पर शामिल हैं। अब अहीरवाल को साधने के लिए डा. अभय सिंह नए लाए गए हैं। हिसार में डॉ. कमल गुप्ता और बिशंबर वाल्मीकि को जातीय समीकरणों के तहत मौका दिया गया है। फरीदाबाद लोकसभा में मूल चंद शर्मा पहले से मंत्री हैं, लेकिन अब सीमा त्रिखा को पंजाबी और महिला चेहरे के तौर पर शामिल किया है। इसी प्रकार गुरुग्राम में सोहना से विधायक संजय सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया है। इस लोकसभा क्षेत्र से डॉ. बनवारी लाल पहले ही कैबिनेट मंत्री हैं। सिरसा लोकसभा में भाजपा ने निर्दलीय रणजीत सिंह चौटाला पर भरोसा जताया है।
रोहतक-सोनीपत को भागीदारी का इंतजार
सोनीपत जिले की छह सीटों में से दो भाजपा के पास हैं। इनमें राई में मोहनलाल बड़ौली और गन्नौर में निर्मल रानी विधायक हैं, शेष सीटों पर कांग्रेस और जजपा का कब्जा है। इसी प्रकार। रोहतक लोकसभा में रोहतक और झज्जर में भाजपा के पास केवल एक विधायक है, इसलिए यहां पर भी भाजपा ने किसी चेहरे को मंत्रिमंडल में मौका नहीं दिया है। रोहतक, सोनीपत, झज्जर, सिरसा, नूंह व चरखी दादरी ऐसे जिले हैं, जहां 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा खाता ही नहीं खोल पाई थी। पलवल, कैथल, सोनीपत, फतेहाबाद और जींद में पार्टी विधायक होते हुए भी किसी का नंबर कैबिनेट में नहीं लगा।
अंबाला, फरीदाबाद, भिवानी से दो-दो मंत्री, दस जिलों से सरकार में नहीं कोई प्रतिनिधि
फरीदाबाद, भिवानी और अंबाला जिलों से दो-दो विधायक मंत्री बने हैं। अन्य जिलों से एक-एक विधायक को मंत्री बनाया गया है। प्रदेश के कुल 22 जिलों में से 12 जिलों को सरकार में प्रतिनिधित्व मिल गया है। करनाल, सोनीपत, पलवल, नूंह, रोहतक, फतेहाबाद, कैथल, जींद, चरखी दादरी और झज्जर जिलों से नायब सरकार में कोई भी मंत्री नहीं है।