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बजट सत्र से पहले पीएम मोदी ने कहा- कल का बजट 2047 के विकसित भारत के सपने को मजबूती देने वाला होगा

Tripada Dwivedi
22 July 2024 5:57 AM GMT
बजट सत्र से पहले पीएम मोदी ने कहा- कल का बजट 2047 के विकसित भारत के सपने को मजबूती देने वाला होगा
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नई दिल्ली। आज से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। कल संसद में बजट पेश किया जाएगा। मानसून सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित किया।

पीएम मोदी ने कहा कि आज सावन का पहला सोमवार है। इस पावन दिन पर एक महत्वपूर्ण सत्र शुरू हो रहा है। मैं सावन के पहले सोमवार पर देशवासियों सभी देशवाशियों सावन की शुभकामनाएं देता हूं। आज संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। आज पूरे देश की नजर इसी पर है। यह एक सकारात्मक सत्र होना चाहिए।

भारत के लोकतंत्र की जो गौरव यात्रा है उसमें ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में मैं देख रहा हूं। व्यक्तिगत रूप से मुझे और हमारे सभी साथियों के लिए भी ये अत्यंत गर्व का विषय है कि करीब 60 साल के बाद कोई सरकार तीसरी बार वापस आए और तीसरी पारी का पहला बजट रखें।

पीएम मोदी ने कहा कि कल हम जो बजट पेश करेंगे वह अमृतकाल का महत्वपूर्ण बजट है। हमें पांच साल का जो अवसर मिला है ये बजट ​हमारे उन पांच साल की दिशा तय करेगा। ये बजट 2047 के विकसित भारत के सपने मजबूत देने वाला होगा। हर देशवासी के लिए बड़े गर्व की बात है कि भारत बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश है। गत 3 वर्षों में लगातार 8 प्रतिशत ग्रोथ के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं देश के सभी सांसदों से अनुरोध करना चाहता हूं कि गत जनवरी से लेकर अब तक हमें जितना संघर्ष करना था। किसी ने राह दिखाने का प्रयास किया किसी ने गुमराह करने का प्रयास किया लेकिन अब वो दौर खत्म हो चुका है। जनता ने अपना फैसला सुना दिया है।

मैं सभी दलों से कहना चाहता हूं कि पार्टी लाइन से ऊपर उठकर देश के लिए खुद को समर्पित करें और संसद के इस गरिमामय मंच का अगले 4.5 साल तक उपयोग करें। जनवरी 2029 के चुनावी साल में आप कोई भी खेल खेल लें लेकिन तब तक हमें किसानों, युवाओं और देश के सशक्तिकरण के लिए अपनी भागीदारी निभानी चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि नई संसद के गठन होने के बाद जो पहला सत्र था। 140 करोड़ देशवासियों ने बहुमत के साथ जिस सरकार को सेवा करने का आदेश किया उसकी आवाज को कुचलने का अलोकतांत्रिक प्रयास हुआ। 2.5 घंटे तक देश के प्रधानमंत्री का गला घोंटने का उनकी आवाज को रोकने का लोकतांत्रिक परंपराओं में कोई स्थान नहीं हो सकता। इसका कोई पश्चाताप तक नहीं है।

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