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बिना विश्राम अनवरत 18 घंटे दर्शन देते रहे 'बालक राम', प्रभु के दरबार में लगा रहा भक्तों का तांता
बुधवार को नवीन विग्रह की एक झलक पाने के लिए देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने कठिन जतन किए तो रामलला ने भी उनके लिए तप करने में कसर नहीं छोड़ी। भक्त और भगवान के इस स्नेहमयी योगदान की सुखद परिणति सामने आई। सुबह से रात तक बिना किसी विघ्न व दुश्वारी के सुगम दर्शन होते रहे।
ठिठुरती ठंड में पांच वर्ष के 'बालक राम' अनवरत 18 घंटे बिना विश्राम भक्तों को दर्शन देते रहे। अपने नव्य मंदिर में विराजने के तीसरे दिन सबके आराध्य तड़के चार बजे निद्रा से जागे तो फिर रात 10 बजे के बाद ही शयन के लिए प्रस्थान किया। आरती व भोग के दौरान भी नृत्य, रंग और गूढ़ मंडप में मौजूद दर्शनार्थियों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा।
बुधवार को नवीन विग्रह की एक झलक पाने के लिए देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने कठिन जतन किए तो रामलला ने भी उनके लिए तप करने में कसर नहीं छोड़ी। भक्त और भगवान के इस स्नेहमयी योगदान की सुखद परिणति सामने आई। सुबह से रात तक बिना किसी विघ्न व दुश्वारी के सुगम दर्शन होते रहे। हर कोई सुखद अनुभूति संजोए प्रभु के दरबार से खुशी-खुशी वापस लौटा। नींद से जगाए जाने के बाद मुख प्रक्षालन व स्नान की प्रक्रिया पूरी हुई। मंगला और श्रंगार आरती के दौरान मेवा, रबड़ी व पेड़ा का भोग ग्रहण किया। इसके बाद रामलला सुबह 6:30 बजे के थोड़ी ही देर बाद से भक्तों को दर्शन देने लगे। जयश्रीराम के उद्घोष के साथ दर्शन शुरू हुआ। दोपहर 12 बजे तक कतारबद्ध प्रत्येक श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती रही।
दोपहर 12 बजे राजभोग व आरती के लिए बस 20 मिनट ही भक्तों को इंतजार करना पड़ा। इस दौरान भी श्रद्धालु मंडप में मौजूद रहे। किसी को दरबार में आने से रोका नहीं गया। भोग आरती की प्रक्रिया पूरी होते ही फिर से दर्शन प्रारंभ हो गया जो शाम छह बजे तक बिना थमे जारी रहा। सूर्यास्त के बाद एक बार फिर संध्या आरती के दौरान भोग लगा। इसके बाद दर्शन को रात दस बजे ही विराम लगा। आरती व भोग के बाद सुबह से जागे और थके बालक राम ने शयन के लिए प्रस्थान किया।
सभी रामभक्तों को प्रसाद में मिला इलायची दाना
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के तीसरे दिन नव्य मंदिर में जब सब कुछ व्यवस्थित हो गया तो भक्तों को सुगम दर्शन के साथ प्रसाद पाने का भी सौभाग्य हासिल हुआ। दर्शन के बाद प्रभु का प्रसाद पाकर श्रद्धालु धन्य हो गए। कई ने तो इसे चखा नहीं बल्कि संजो कर अपने साथ ले गए। फिलहाल नए मंदिर में भी रामजन्मभूति तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से पुराने मंदिर की तरह प्रसाद में इलायची दाना ही दिया गया।