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भोजशाला सर्वे पर एएसआई ने 2000 पन्नों की सौंपी रिपोर्ट, हिन्दू देवी-देवताओं की 94 मूर्तियां मिलने का किया दावा, जाने क्या है पूरा मामला

Neelu Keshari
15 July 2024 9:11 AM GMT
भोजशाला सर्वे पर एएसआई ने 2000 पन्नों की सौंपी रिपोर्ट, हिन्दू देवी-देवताओं की 94 मूर्तियां मिलने का किया दावा, जाने क्या है पूरा मामला
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इंदौर। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मध्यप्रदेश में धार के भोजशाला कमाल मौला मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की दो हजार पेज की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच को सौंप दी है। वहीं हिन्दू पक्ष का दावा है कि सर्वे के दौरान हिन्दू देवी-दवताओं के 94 मूर्तियां मिली हैं। अब इम मामले की सुनवाई 22 जुलाई को होगी। बता दें कि एएसआई ने 22 मार्च से सर्वे शुरू किया था जो 27 जून यानी 98 दिनों तक चला।

इस मामले में जानकारी देते हुए हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस के वकील एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इस मामले में एएसआई रिपोर्ट महत्वपूर्ण है। एएसआई रिपोर्ट ने हमारे केस को मजबूत किया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के सामने हमने कहा था कि यह परिसर एक हिंदू मंदिर का है। इसका इस्तेमाल मस्जिद की तरह हो रहा है। 2003 में एएसआई ने जो आदेश पारित किया था, वह पूरी तरह गलत है। देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है। हमने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने एएसआई को साइंटिफिक स्टडी के निर्देश दिए थे। दो हजार पेज की रिपोर्ट में हमारा पक्ष मजबूत हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की कार्यवाही पर स्टे दे रखा है। इस वजह से हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।

तो वहीं अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि आज बहुत खुशी का मौका है। आज एएसआई की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि वहां पहले हिंदू मंदिर हुआ करता था। वहां सिर्फ हिंदू पूजा होनी चाहिए। नमाज पढ़ने की इजाजत देने वाला एएसआई का 2003 का आदेश गैरकानूनी है। वहां से 94 से ज्यादा टूटी हुई मूर्तियां बरामद हुई हैं। जो कोई भी इन चीजों को देखेगा, वह आसानी से कह सकता है कि वहां कभी मंदिर हुआ करता था।

इस आदेश पर है विवाद

पूरा विवाद एजेंसी के सात अप्रैल 2003 के आदेश को लेकर है। हिंदुओं और मुस्लिमों में विवाद बढ़ने पर एएसआई ने आदेश जारी कर परिसर में प्रवेश को सीमित किया था। आदेश के बाद 21 साल से हिंदू सिर्फ मंगलवार को भोजशाला में पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मुस्लिम सिर्फ शुक्रवार को नमाज अदा कर सकते हैं। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को चुनौती दी है।

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