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मुग्ध करती हैं रामलला की तीनों मूर्तियां, आसान नहीं एक चुनना; मूर्ति निर्माण के तय हुए थे ये मानक

Naresh Vashistha
30 Dec 2023 7:24 AM GMT
मुग्ध करती हैं रामलला की तीनों मूर्तियां, आसान नहीं एक चुनना; मूर्ति निर्माण के तय हुए थे ये मानक
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राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली रामलला की अचल मूर्ति के चयन को लेकर शुक्रवार को करीब पांच घंटे तक मंथन चला। बाल स्वरूप भगवान राम किस शिला के, किस रंग के व किस रूप के होंगे, इसके लिए आखिरकार वोटिंग करवानी पड़ी। ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने एक, दो व तीन नंबर के क्रम में वोट दिए। इसके बाद टीम ने निर्णय सुरक्षित कर लिया।

राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली रामलला की अचल मूर्ति के चयन को लेकर फैसला अभी भले ही सुरक्षित रख लिया गया है, लेकिन तीनों मूर्तिकारों ने बहुत ही बेहतरीन काम किया है। राममंदिर के ट्रस्टी युगपुरुष परमानंद ने बताया कि तीनों मूर्तिकारों का परिश्रम, चिंतन लाजवाब है।

मूर्तियों को देखकर लगता है कि इन्होंने रामायण व शास्त्रों का गहन अध्ययन करने के बाद मूर्ति निर्माण किया गया है। मूर्तियां शास्त्रोक्त व रामायण काल के आधार पर बनाई गई हैं। तीनों मूर्तियों में बाल सुलभ कोमलता झलक रही है। भगवान श्रीराम के चरण रज से शिला भी जीवंत हो उठती है। वह जिस शिला में प्रकट होना चाहेंगे, उस शिला में स्वयं आकार ले लेंगे।

मूर्ति के चयन को लेकर हुई बैठक में श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती, महंत दिनेंद्र दास, डॉ़ अनिल मिश्र, कामेश्वर चौपाल, बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, जिलाधिकारी नितीश कुमार शामिल रहे। के़ पराशरण, जगद्गुरु विश्वप्रसन्न तीर्थ, प्रदेश सरकार के गृह सचिव संजय प्रसाद से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राय ली गई है।

अचल मूर्ति के लिए मंगाए गए थे 12 पत्थर

रामलला की अचल मूर्ति निर्माण के लिए नेपाल की गंडकी नदी समेत कर्नाटक, राजस्थान व उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले 12 पत्थर ट्रस्ट ने मंगाए थे। इन सभी पत्थरों को परखा गया तो राजस्थान व कर्नाटक की शिला ही मूर्ति निर्माण के लायक मिली। देश के तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार इन शिलाओं पर रामलला के बाल स्वरूप को जीवंत करने में जुट गए।

राजस्थान की संगमरमर शिला पर विग्रह बनाने का काम मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय कर रहे हैं। कर्नाटक की श्याम रंग की एक शिला पर मूर्तिकार गणेश भट्ट व दूसरी शिला पर अरुण योगीराज ने रामलला की अद्भुत छवि उकेरी है।

इसलिए हुआ कर्नाटक व राजस्थान की शिला का चयन

कर्नाटक की श्याम शिला व राजस्थान के मकराना के संगमरमर शिला को इनकी विशेष खासियतों के चलते चुना गया। मकराना की शिला बहुत कठोर होती है और नक्काशी के लिए सर्वोत्तम होती है। इसकी चमक सदियों तक रहती है। वहीं कर्नाटक की श्याम शिला पर नक्काशी आसानी से होती है। ये शिलाएं जलरोधी होती हैं, इनकी आयु लंबी होती है।

मूर्ति निर्माण के तय हुए थे ये मानक

मूर्ति की कुल ऊंचाई 52 इंच हो

श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हों

मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य हों

कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति

हाथ में तीर व धनुष

मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलके

Naresh Vashistha

Naresh Vashistha

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