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दिल्ली समेत देश के इन 10 शहरों में जानलेवा बन रहा है वायु प्रदूषण, हर साल हो रही है 33 हजार मौतें

Neelu Keshari
4 July 2024 5:56 AM GMT
दिल्ली समेत देश के इन 10 शहरों में जानलेवा बन रहा है वायु प्रदूषण, हर साल हो रही है 33 हजार मौतें
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नई दिल्ली। देश में वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, जो एक चिंता का विषय है। वायु प्रदूषण की एक ताजा रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, वो हम सबको चौकाने वाला है। दरअसल लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश के 10 शहरों में हर साल 33 हजार लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साफ हवा के मानक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साफ हवा के मानकों से पहले ही ज्यादा हैं लेकिन कई शहरों में तय मानकों से भी कई गुना ज्यादा प्रदूषण एक बड़ी समस्या बना हुआ है। इसके चलते कई लोग बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, देश के 10 शहरों में दिल्ली, अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी शामिल है। इन शहरों में साल 2008 से 2019 के बीच अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया कि इन शहरों में वायु प्रदूषण से 33 हजार मौतें हुई हैं। अध्ययन में पाया गया कि वर्तमान भारतीय वायु गुणवत्ता मानकों से नीचे वायु प्रदूषण के स्तर से भी देश में दैनिक मृत्यु दर में वृद्धि होती है। देश के इन 10 शहरों में प्रति वर्ष लगभग 33 हजार मौतें वायु प्रदूषण के स्तर के कारण होती हैं, जो डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों से अधिक है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण से जनित बीमारियों से हर साल 12 हजार लोगों की मौत हुई है, जो देश में हुई कुल मौतों का 11.5 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को कठोर करने की जरूरत है और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास दोगुने करने की जरूरत है। दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा मौतें वाराणसी में हुई हैं, जहां हर साल 830 लोगों की जान गई है, जो कि देश में हुई कुल मौतों की संख्या का 10.2 प्रतिशत है।

वहीं मुंबई में करीब 5100, कोलकाता में 4700, चेन्नई में 2900 और बंगलूरू में 2,100 लोगों की मौत हर साल वायु प्रदूषण के चलते हुई है। तो वहीं हिमाचल की राजधानी शिमला में सबसे कम मौतें हुई हुई है। यहां हर साल वायु प्रदूषण से 59 लोगों की मौत होती है, जो कुल मौतों का 3.7 प्रतिशत है। बता दें कि यह रिपोर्ट सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव, अशोका यूनिवर्सिटी, सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल, स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट, हार्वर्ड और बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तैयार की है।

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