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खेमेबाजी के खेल पर अदा शर्मा ने तोड़ी चुप्पी, बस्तर में मेरा किरदार देख लोग फिर चौकेंगे

Suman Kaushik
4 Feb 2024 7:09 AM GMT
खेमेबाजी के खेल पर अदा शर्मा ने तोड़ी चुप्पी, बस्तर में मेरा किरदार देख लोग फिर चौकेंगे
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बीते साल की कामयाब फिल्मों में इकलौती महिला प्रधान फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ रही। इसकी नायिका अदा शर्मा नए साल में बिल्कुल नए अंदाज में कैमरे के सामने लौट रही हैं। वेब सीरीज ‘सनफ्लॉवर’ में जहां वह एक बार डांसर का किरदार निभा रही हैं, वहीं फिल्म ‘बस्तर’ में वह एक दबंग पुलिस अफसर के रूप में दिखेंगी। अपनी मां की लाडली बिटिया रहीं अदा शर्मा ने केरल की संस्कृति और आधुनिकता की आवश्यकता के बीच एक सराहनीय संतुलन हमेशा बनाए रखा है। संपूर्ण शाकाहारी अदा शर्मा के घर का एक पूरा हिस्सा ही मंदिर जैसा है, जहां वह अपनी मां के साथ नित्य पूजा अर्चना करती हैं।





फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को हाल ही में हुए फिल्म पुरस्कारों की किसी भी श्रेणी में नामित तक नहीं किया गया, जबकि ये बीते साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में शुमार रही, आपको इस पर गुस्सा तो आया होगा?

मैं कुछ न ही कहूं तो बेहतर है। बतौर अभिनेत्री मेरा काम था एक ऐसी फिल्म में अपना सब कुछ निछावर कर देना, जिसकी कहानी बहुत ही सामयिक और बोल्ड है। फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ एक मुश्किल फिल्म रही, मेरे लिए। इसकी शूटिंग, इस किरदार के लिए तैयारी और इस फिल्म की रिलीज, सब कुछ चुनौती भरा रहा। जिन लोगों ने भी ये फिल्म देखी, इसे अपना प्यार दिया, उन सबकी मैं शुक्रगुजार हूं। दर्शकों प्यार ही मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार है।





और, अब उसी टीम के साथ आप फिल्म ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ कर रही हैं, इसमें भी आपका किरदार काफी दबंग किस्म का बताया जा रहा है?

ये फिल्म हमारे देश के नक्सल प्रभावित क्षेत्र की कहानी है। ये फिल्म वैसे तो एक मां-बेटे की कहानी है लेकिन इसमें मेरा किरदार एक धुरी की तरह काम करता है। मैंने इस किरदार के लिए छत्तीसगढ़ के नक्सल बहुल इलाके में जाकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। वहां रही और वहां काम कर रहे हमारे देश के जांबाज सपूतों की दिनचर्या को समझा। मैं नमन करती हूं उन सारे वर्दीधारियों को जो अपना घर, परिवार और बच्चे पीछे छोड़ देश की मिट्टी की रक्षा के लिए वहां दिन रात अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।

इस किरदार के बारे में कुछ बताना चाहेंगी?

मैं फिल्म निर्माण के गोपनीयता अनुबंध में बंधी होने के चलते ज्यादा कुछ तो नहीं बता सकती। लेकिन, ये फिल्म देखकर लोगों के चेहरे पर एक अलग भाव अवश्य आएगा, ये मैं कह सकती हूं। मेरा किरदार बस्तर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का है। सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म में मैं एक ऐसा किरदार कर रही हूं, वास्तव में बस्तर में तैनात रहा है। मेरा यकीन दर्शकों को सरप्राइज देने में रहा है और मेरा ये किरदार देख दर्शक एक बार फिर चौंकेंगे।

तो फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के बाद तो आपके पास प्रस्तावों की लाइन लग गई होगी? क्या क्या नया चुना इसमें से?

ये एक भ्रम है मुंबई फिल्म जगत का कि यहां किसी फिल्म के हिट होते ही फिल्म निर्माता कलाकारों के पीछे लग जाते हैं। बाहर से आने वाले कलाकारों व तकनीशियनों का मनोबल बढ़ाने वाले यहां गिनती के निर्माता, निर्देशक हैं। मुझे भी लगा था कि फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ इतनी बड़ी हिट फिल्म हुई है तो मेरे घर के बाहर तो निर्माता दिन रात खड़े रहेंगे। यहां काम पाने का जो तरीका है, वह मुझे कतई पसंद नहीं। मैं पार्टियों में जाती नहीं हूं और निर्माता, निर्देशकों से बिना किसी काम के मिलना भी शायद अभी मैं सीख नहीं पाई हूं। हां, ये जरूर कह सकती हूं कि कुछ बेहद रोचक प्रस्ताव मेरे पास आए हैं और उन पर मैं काम कर रही हूं। समय आने पर इनकी सूचना मैं जरूर सार्वजनिक करना चाहूंगी।

अच्छा, ‘सनफ्लॉवर’ के बारे में बताइए, इस सीरीज से तो आपकी पहली झलक भी सामने आ गई है?

‘सनफ्लॉवर’ का प्रस्ताव लेकर इसके निर्देशक विकास बहल जब मेरे पास आए तो मैं बहुत उत्साहित थी क्योंकि इसमें मुझे नाचने-गाने का मौका मिल रहा था। आप तो मुझे इतने साल से जानते हैं और ये भी जानते हैं कि नृत्य मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है। मैं सब कुछ छोड़ सकती हूं, पर नाचना मेरी रग रग में बसा है तो बस रोजी का ये किरदार मैंने तुरंत स्वीकार कर लिया। रोजी हंसाती भी है, डराती भी है। वह मासूम भी दिखती है और दिल में उसके शैतानी भी कम नहीं है।

भारतीय शास्त्रीय नृत्यों में पारंगत अभिनेत्रियों में मौजूदा हिंदी सिनेमा में आप ही सबसे युवा अभिनेत्री हैं, इन नृत्यों के प्रचार प्रसार के लिए कभी कोई योजना नहीं रही आपके मन में?

मेरा मानना है कि जैसे हेमा मालिनी जी ने भारतीय शास्त्रीय नृत्यों का देश दुनिया में प्रचार प्रसार किया है, वैसा योगदान हिंदी फिल्म जगत के दूसरे कलाकारों को भी करना चाहिए। भारतीय शास्त्रीय नृत्य हमारी संस्कृति की पहचान हैं। मैं अपने स्तर से इसमें अपना योगदान करती रहती हूं। अच्छे आयोजक और प्रायोजक मिले तो मैं एक नृत्य नाटिका तैयार करना चाहती हूं और उसे लेकर पूरे देश और विदेश जाना चाहती हूं।

आपकी फिल्म ‘1920’ ने हिंदी की डरावनी फिल्मों का एक अलग अध्याय शुरू किया था, इस फिल्म जैसी कोई दूसरी फिल्म आपने फिर क्यों नहीं की?

आपने मेरे मन की बात कह दी। डरावनी फिल्में मुझे बेहद पसंद हैं। मेरे पास इस फिल्म के बाद तमाम हॉरर फिल्मों के प्रस्ताव आए भी, लेकिन मैं चाहती हूं कि इस बार ऐसी हॉरर फिल्म करूं जिसके सारे तत्व भारतीय हों और जो ऐसी कहानी पर बने जिसके बारे मे सुनकर ही लोग हैरान हो जाएं। डरावनी कहानियां भारतीय लोककथाओं का अनिवार्य हिस्सा रही हैं। एक युवा निर्देशक ने अभी हाल ही में मुझे एक बहुत ही रुचिकर फंतासी कथा सुनाई है जिसमें हॉरर भी है। मैं इस फिल्म पर विचार कर रही हूं। इसके अलावा मुझे जल्द ही एक स्पाई फिल्म और एक कॉमेडी फिल्म भी करनी है।


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