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गौतम अडानी मामले में आंध्र के प्रमुख अधिकारी पर आरोप, फिर भी चुप्पी क्यों?
नई दिल्ली। भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी पर हाल ही में गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अमेरिकी सरकार ने आरोप लगाया है कि अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी, साथ ही साथ सात अन्य लोगों पर आंध्र प्रदेश और ओडिशा की राज्य सरकारों के अधिकारियों को महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए रिश्वत देने का आरोप है।
सूत्रों के अनुसार, कथित रिश्वत का 85% से अधिक हिस्सा, यानी 2,029 करोड़ रुपये में से लगभग 1,750 करोड़ रुपये, आंध्र प्रदेश के एक वरिष्ठ ट्रॉप अधिकारी को दिया गया था। यह मामला गंभीर है क्योंकि इसमें राज्य सरकारों के अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप है, और इससे सरकारी खरीद प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दल तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने इस मुद्दे पर कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से पहले मामले की पूरी जानकारी जुटाने की बात कही है। यह बयान इस बात का संकेत है कि पार्टी इस संवेदनशील मुद्दे पर सावधानी से विचार करेगी, ताकि कोई गलत कदम न उठाया जाए।
अमेरिकी अभियोजकों ने आरोप लगाया कि सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए 2021-2023 के बीच आंध्र प्रदेश और ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर सहित अन्य राज्यों के अधिकारियों को रिश्वत दी गई थी।
इस घटना के बाद अडानी समूह की सभी 10 सूचीबद्ध कंपनियों में भारी गिरावट देखी गई, और अडानी एंटरप्राइजेज में 23% से अधिक की गिरावट आई। आज शुरुआती कारोबार के दौरान अडानी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के निवेशकों को बाजार मूल्य में 2.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
बता दें कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू अभी आंध्र प्रदेश के लिए अडानी समूह से निवेश जुटाने की कोशिशों में लगे हैं। हाल ही में, वह अडानी समूह से निवेश प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे। उसी के साथ एक रिपोर्ट के अनुसार, एक मंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश को सौर ऊर्जा की जरूरत है और वह अडानी सोलर के साथ किए गए बिजली खरीद समझौतों को रद्द करने की स्थिति में नहीं है। इनमें से एक कारण यह भी हो सकता है कि नायडू शायद इतनी जल्दी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी से रिश्तों में खटास नहीं डालना चाहते हैं।