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सैफाई परिवार से 5 लोग लड़ रहे है लोकसभा चुनाव। कौन पहली बार चुनाव में उतरा रहा है?

Naresh Vashistha
22 April 2024 6:17 PM IST
सैफाई परिवार से 5 लोग लड़ रहे है लोकसभा चुनाव। कौन पहली बार  चुनाव में उतरा रहा है?
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मैनपुरी सपा के लिए सबसे मजबूत सीट कैसे? अखिलेश यादव से क्यों नाराज है यादव नेता? समाजवादी पार्टी से दूर हो रहा है यादव

दिल्ली। समाजवादी पार्टी ने आज लोकसभा चुनाव के लिए 2 और उम्मीदवार घोषित किए जिसमें कन्नौज से तेज प्रताप यादव और बलिया से सनातन पांडे।

2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा 62 सीट पर काँग्रेस 17 और तृणमूल कांग्रेस 01 सीट पर चुनाव लड़ेगी।

समाजवादी पार्टी ने अब तक घोषित प्रत्याशियों मे सैफई परिवार से कुल 05 लोग 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ रहे है, इसमे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव मैनपुरी से लड़ रही है इससे पूर्व डिम्पल यादव ने अपना पहला चुनाव 2009 मे फिरोजाबाद लोकसभा में उप चुनाव लड़ा पर वे काँग्रेस उम्मीदवार राजबब्बर से हार गई।

राजनीति में उनका पदार्पण हार के रूप मे हुआ पर इसके बाद डिम्पल ने 2012 मे कन्नौज लोकसभा का उप चुनाव निर्विरोध जीता और 2014 लोकसभा चुनाव में कन्नौज से जीती इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव कन्नौज से हारने के बाद 2022 मे मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव जीता।

इस बार आज़मगढ़ से चुनाव लड़ रहे धर्मेन्द्र यादव एक बार 2004 मे मैनपुरी लोकसभा से सांसद और 2 बार बदायूं लोकसभा 2009 एवं 2014 मे जीत हासिल कर चुके है। धर्मेन्द्र यादव 2019 का लोकसभा चुनाव बदायूं से हारने के बाद समाजवादी पार्टी ने इस बार आज़मगढ़ से टिकिट दिया है।

समाजवादी पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव 2014 लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद से जीत चुके है परन्तु 2019 के चुनाव में फिरोजाबाद से ही हार का सामना करना प़डा, अब फिर तीसरी बार फिरोजाबाद से ही मुकाबले में है।

अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव ने 2014 लोकसभा चुनाव मे मैनपुरी से जीत हासिल की और अब 2024 के लोकसभा चुनाव मे कन्नौज से ताल ठोकैंगे।

सपा महासचिव शिवपाल के बेटे आदित्य यादव पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। बदायूं सीट से वे पार्टी उम्मीदवार है, इससे पहले पार्टी ने शिवपाल यादव को उम्मीदवार घोषित किया था।

समाजवादी पार्टी द्वारा अभी तक घोषित उम्मीदवारों मे सैफई परिवार के अलावा किसी अन्य यादव को टिकट नहीं दिया है, इससे यादव समाज में नाराजगी है।

यह तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा की चुनाव परिणामों पर इसका कोई असर होगा या ये नेता अपनी नाराजगी भूल कर समाजवादी पार्टी को ही वोट देंगे।

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