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कोऑपरेटिव खेती में क्रांति लाने के लिए WCOOPEF ने IIT हैदराबाद और I-SEED से मिलाया हाथ

Tripada Dwivedi
5 March 2025 3:27 PM IST
कोऑपरेटिव खेती में क्रांति लाने के लिए WCOOPEF ने IIT हैदराबाद और I-SEED से मिलाया हाथ
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नई दिल्ली। विश्व सहयोग आर्थिक मंच (WCOOPEF) ने ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (IRMA) के सामाजिक उद्यमों के विकास हेतु स्थापित इनक्यूबेटर I-SEED और IIT हैदराबाद के प्रौद्योगिकी नवाचार हब (TiHAN) के साथ मिलकर IoT-आधारित डिजिटल फसल सर्वेक्षण और भू-स्थानिक मेधा (जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस) के माध्यम से सहकारी-नेतृत्व वाली कृषि में क्रांति लाने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है।

यह पहल अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष में सहकारी-नेतृत्व वाली आर्थिक वृद्धि, स्थिरता और ग्रामीण सशक्तिकरण को सुदृढ़ करने का कार्य करेगी। 'सहकार से समृद्धि' की सोच के साथ इस प्रयास का उद्देश्य कृषि उत्पादकता को लचीला बनाने के लिए किसान सहकारी समितियों, डेयरी संघों, मत्स्य पालन समूहों और ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों (SHG) को अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों से लैस करना है।

यह पहल सहकारी-नेतृत्व वाली खेती और ग्रामीण उद्यमों में डेटा-संचालित निर्णय लेने को बढ़ावा देने के लिए AI-संचालित भू-स्थानिक मेधा, रियल-टाइम IoT डेटा संग्रह और डिजिटल मैपिंग तकनीकों को एकीकृत करेगी।

डब्ल्यूकॉपईएफ के अध्यक्ष दिलीप शंघाणी ने कहा कि सहकारी मॉडल लंबे समय से भारत की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। भू-स्थानिक नवाचार और IoT-सक्षम डिजिटल फसल सर्वेक्षणों के माध्यम से हम सहकारी समितियों को डेटा-संचालित, कुशल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि' और 'विकसित भारत' की सोच के अनुरूप है। इससे विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को प्रिसीजन (सटीक) कृषि, वास्तविक समय में बाजार तक पहुंच और वित्तीय समावेशन का लाभ मिलेगा।

डिजिटल परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रधानमंत्री की हाई-पॉवर्ड कमेटी के सदस्य, डब्ल्यूकॉपईएफ के संस्थापक अध्यक्ष और किसान-केंद्रित मूल्य श्रृंखलाओं के अग्रणी अधिवक्ता बिनोद आनंद ने सहकारी समितियों के लिए डिजिटल परिवर्तन को अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि छोटे किसानों और ग्रामीण समुदायों के उत्थान के लिए सहकारी समितियों को टेक्नोलॉजी-सक्षम उद्यमों के रूप में विकसित होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह पहल एक टेक्नोलॉजी-सक्षम सहकारी आर्थिक क्षेत्र की स्थापना करेगी, जो IoT-सक्षम डिजिटल फसल सर्वेक्षण, AI-संचालित भू-स्थानिक मेधा और वास्तविक समय के बाजार कनेक्शन का लाभ उठाकर एक अधिक लचीला और आत्मनिर्भर सहकारी पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेगी।

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