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आसान नहीं होगा अमेरिका की डिग्री पाना, ट्रंप 'अंकल' कर रहे हैं तगड़ी डिमांड

DeskNoida
10 April 2025 10:28 PM IST
आसान नहीं होगा अमेरिका की डिग्री पाना, ट्रंप अंकल कर रहे हैं तगड़ी डिमांड
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अमेरिका की नागरिकता और आप्रवासन सेवा (USCIS) ने नई नीति लागू कर दी है, जिसका उद्देश्य उन व्यक्तियों की पहचान करना है जो यहूदी विरोधी विचार या हिंसक संगठनों से जुड़े हैं।

अमेरिका में अब वीज़ा और स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) के लिए आवेदन करने वालों के सोशल मीडिया खातों की गहन जांच की जाएगी। अमेरिका की नागरिकता और आप्रवासन सेवा (USCIS) ने यह नई नीति लागू कर दी है, जिसका उद्देश्य उन व्यक्तियों की पहचान करना है जो यहूदी विरोधी विचार या हिंसक संगठनों से जुड़े हैं।

यह निर्णय अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (DHS) द्वारा जारी किया गया है। विभाग का कहना है कि जिन लोगों के सोशल मीडिया पोस्टों में आतंकवादी संगठनों जैसे हमास, हिज़्बुल्ला, हौथी या फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के प्रति समर्थन दिखाया गया है, उन्हें अमेरिका में प्रवेश या निवास की अनुमति नहीं दी जाएगी।

DHS के अनुसार, यह नीति उन शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े छात्रों पर भी लागू होगी, जो यहूदी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं। इस कदम का असर खास तौर पर विदेशी छात्रों पर पड़ेगा, जो अमेरिका में पढ़ाई करने या रहने के लिए आवेदन कर रहे हैं।

सरकार ने साफ किया है कि जो लोग अमेरिका आकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर यहूदी विरोधी हिंसा या आतंकवाद का समर्थन करना चाहते हैं, उन्हें यहां स्वागत नहीं मिलेगा। DHS के एक अधिकारी ने कहा, “हम दुनिया के आतंकवाद समर्थकों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ना चाहते और उन्हें अमेरिका में रहने की अनुमति देने का कोई दायित्व हमारा नहीं है।”

इस नई नीति के तहत USCIS अधिकारी अब यह देखेंगे कि आवेदक के सोशल मीडिया पर ऐसे कोई पोस्ट हैं या नहीं, जो यहूदी विरोधी आतंकवाद या हिंसक विचारों का समर्थन करते हों। ऐसा पाए जाने पर आवेदन को नकारात्मक आधार मानते हुए खारिज किया जा सकता है।

इस नीति से सबसे ज़्यादा असर उन छात्रों पर हो सकता है जो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं या ऐसे संस्थानों से जुड़े हैं जिन पर नज़र रखी जा रही है। अगर किसी छात्र ने पहले ऐसे विचार साझा किए हैं, तो उसका वीज़ा रिन्यूअल या स्थायी निवास का आवेदन खारिज किया जा सकता है।

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