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इंतजार खत्म! भारत को मिला तेजस लड़ाकू विमान का पहला इंजन, आकाश में दहाड़ेंगे शेर

अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) ने तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों के लिए पहला इंजन भारत को सौंप दिया है। यह डिलीवरी दो साल की देरी के बाद हुई है, जिसकी वजह से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 83 तेजस विमानों की आपूर्ति में भी बाधा आई थी। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कई बार इस देरी पर चिंता जताई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। जीई एयरोस्पेस के कंबैट एंड ट्रेनर इंजन्स के जनरल मैनेजर शॉन वॉरेन ने मंगलवार को पुष्टि की कि पहला एफ404-आईएन20 इंजन एचएएल को सौंप दिया गया है।
वॉरेन ने कहा, "यह एचएएल के साथ हमारे 40 साल के साझेदारी का एक अहम पड़ाव है। हम भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" ये इंजन 2021 में हुए 716 मिलियन डॉलर के समझौते का हिस्सा हैं।
एचएएल के अधिकारियों ने बताया कि इंजन की आपूर्ति शुरू होने से तेजस विमानों के निर्माण की गति बढ़ेगी। कंपनी ने बेंगलुरु स्थित अपनी इकाई में एक नई असेंबली लाइन भी जोड़ी है, ताकि हर साल कम से कम 16 तेजस मार्क-1ए विमान बनाए जा सकें। इससे 2028 तक वायुसेना को 83 विमान देने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
एक एचएएल अधिकारी ने कहा, "इंजन की देरी के बावजूद, हमने अपनी असेंबली प्रक्रिया को तेज किया है। अब इंजन मिलने से उत्पादन और बढ़ेगा।"
वायुसेना के लिए अहम है तेजस मार्क-1ए
तेजस मार्क-1ए, मार्क-1 का उन्नत संस्करण है, जिसमें बेहतर रडार, एवियोनिक्स और हथियार क्षमता है। यह विमान वायुसेना के पुराने मिग-21 और जगुआर बेड़े की जगह लेगा।
इस साल की शुरुआत में वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि 2009-2010 में ऑर्डर किए गए 40 तेजस विमानों की पहली खेप भी अभी तक नहीं मिली है। उन्होंने एचएएल पर नाराजगी भी जताई थी।
जीई एयरोस्पेस ने इंजन की देरी के लिए सप्लाई चेन की दिक्कतों को जिम्मेदार बताया है। कंपनी के मुताबिक, "2016 के बाद एफ404-आईएन20 इंजनों की कोई नई मांग नहीं थी, इसलिए उत्पादन लाइन बंद कर दी गई थी। 2021 में एचएएल के 99 इंजनों के ऑर्डर मिलने के बाद हमने इसे फिर से शुरू किया, जिसमें समय लगा।"