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उत्तराखंड में UCC लागू, लिव-इन कपल्स के लिए क्या बदलेंगे नियम! जानें और क्या-क्या बदलाव आएंगे?

Nandani Shukla
27 Jan 2025 2:21 PM IST
उत्तराखंड में UCC लागू, लिव-इन कपल्स के लिए क्या बदलेंगे नियम! जानें और क्या-क्या बदलाव आएंगे?
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देहरादून। उत्तराखंड ने ढाई साल की तैयारियों के बाद आज इतिहास रच दिया। आज से उत्तरखांड में नागरिक संहिता लागू हो गई है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC (समान नागरिक संहिता) पोर्टल और नियम लॉन्च किए।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC पोर्टल और नियम लॉन्च पर कहा-आज उत्तराखंड में UCC लागू करके हम संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आज इसी क्षण से उत्तराखंड में UCC पूर्ण रूप से लागू हो गया है। आज से सभी धर्म की महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त होंगे... इस अवसर पर मैं समस्त उत्तराखंड वासियों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद करता हूं क्योंकि उन्हीं के मार्गदर्शन में आज हम यह कानून राज्य में लागू करने में सफल हुए हैं।

उसी के साथ उन्होंने कहा कि हमने जनता से जो वादा किया था हम वो पूरा कर रहे हैं और आज पूरी तरह से उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो गया है जो UCC को लागू कर रहा है। ये गंगोत्री उत्तराखंड से निकल रही है आने वाले समय में सबको लाभ देगी। सबको किसी ना किसी प्रकार से सहायता करेगी। हर महिला के उत्थान, सशक्तिकरण, सुरक्षा के लिए UCC कवच की तरह काम करेगी।

लिव-इन कपल्स के लिए क्या बदलेंगे नियम?

राज्य की समान नागरिक संहिता (UCC) विवाह और लिव-इन रिश्तों के लिए अनिवार्य पंजीकरण की व्यवस्था करेगी और बहुविवाह और बाल विवाह जैसे नियमों को लागू करेगी। इस संहिता का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि विवाह की कानूनी उम्र दोनों लिंगों के लिए 21 वर्ष निर्धारित की गई है, जो यह सुनिश्चित करने के प्रयासों के अनुरूप है कि लोग विवाह से पहले अच्छी तरह से शिक्षित हों।

क्या है नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता (UCC) एक ऐसा कानून है जो सभी नागरिकों के लिए एक सामान्य कानूनी प्रावधानों का सेट स्थापित करने का प्रयास करता है, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से हों। यह विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकारों और गोद लेने के कानूनों को मानकीकरण करेगा। उत्तराखंड द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) को अपनाने से यह सुनिश्चित होगा कि हर नागरिक समान कानूनी ढांचे के अधीन होगा, जो कानून के समक्ष समानता को बढ़ावा देगा।

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