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7 दिनों में Mamta Kulkarni से छीन ली गई महामंडलेश्वर की उपाधि, जानें वजह
Nandani Shukla
31 Jan 2025 2:28 PM IST
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प्रयागराज। ममता कुलकर्णी अब महामंडलेश्वर नहीं रही हैं। किन्नर अखाड़े ने महज 7 दिनों के भीतर ही उनका महामंडलेश्वर का ताज छीन लिया है। इस मामले में काफी बवाल हो रहा था। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने ममता कुलकर्णी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को भी किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया है, क्योंकि उन्होंने देशद्रोह की आरोपी ममता कुलकर्णी को अखाड़े में शामिल किया था और उनकी जानकारी के बिना उन्हें महामंडलेश्वर बना दिया था।
तो चलिए जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ कि 7 दिनों के भीतर ममता कुलकर्णी से महामंडलेश्वर का ताज छीन लिया गया।
- किन्नर अखाड़े को सबसे पहली परेशानी इस बात से थी कि ममता कुलकर्णी को सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी गई। दरअसल, ममता को पहले वैराग्य की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए था और संन्यासी बनना चाहिए था। अगर इसके बाद उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाती, तो शायद कोई दिक्कत नहीं होती। इस बात का जिक्र खुद किन्नर अखाड़े द्वारा जारी किए गए बयान में किया गया है।
- ममता कुलकर्णी फिल्मी दुनिया से जुड़ी हुई हैं। फिल्मी करियर के दौरान उन्होंने कई बोल्ड फोटोशूट कराए थे, जिससे किन्नर अखाड़े के कई लोगों को आपत्ति थी।
- यह भी बताया गया कि ममता कुलकर्णी का नाम अंडरवर्ल्ड से भी जुड़ा था। लोगों का कहना है कि उन्होंने फिल्मी दुनिया छोड़ने के बाद ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से दुबई में शादी कर ली थी। उनके ऊपर देशद्रोह के आरोप भी रहे हैं और अंडरवर्ल्ड से जुड़े होने के भी आरोप लगाए गए हैं।
- अखाड़े के नियमों के अनुसार, जो व्यक्ति महामंडलेश्वर बनता है, उसे संन्यासी होना चाहिए और उसका मुंडन होना चाहिए। ममता कुलकर्णी न तो संन्यासी थीं और न ही उनका मुंडन हुआ था।
- किन्नर अखाड़े के नियमों के मुताबिक, अखाड़े के संन्यासियों को वैजंती माला गले में पहननी होती है, लेकिन ममता कुलकर्णी ने रुद्राक्ष की माला पहनी थी। इसके अलावा, ममता कुलकर्णी की महामंडलेश्वर की पदवी भी किन्नर अखाड़े के नियमों के अनुरूप नहीं थी।
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