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आर्य समाज कविनगर में त्रिदिवसीय स्वर्णजयंती महोत्सव का शुभारम्भ, भक्ति के सुन्दर भजनों से श्रद्धालु मंत्रमुग्ध
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ईश्वर सच्चिदानंद स्वरुप है- डॉ वेदपाल
अष्टांग योग अपनाकर ईश्वर साक्षात्कार सम्भव- स्वामी प्राणदेव
गाजियाबाद। शुक्रवार को आर्य समाज कविनगर के 50 वर्ष पूर्ण होने पर त्रिदिवसीय स्वर्ण जयन्ती महोत्सव का भव्य शुभारंभ आचार्य प्रमोद शास्त्री के ब्रह्मत्व में महायज्ञ से हुआ।मुख्य यज्ञमान सर्वश्री डा. मनीष कंसल एवं शिल्पी कंसल, लक्ष्मण सिंह चौहान एवं सुमन चौहान रहे। यज्ञोप्रांत आचार्य जी ने यज्ञमानों को आशीर्वाद दिया और सुखद जीवन की प्रभु से प्रार्थना की ।संयोग से आज नंदनी कंसल का जन्मदिन था उन्होंने नंदनी को वेदमंत्र एवं पुष्पवर्षा से बधाई एवं शुभकामनायें दीं। आर्य जगत की सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका आचार्या अलका आर्या एवं योगी प्रवीण आर्य ने ईश्वर भक्ति के सुन्दर भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य वक्ता आचार्य डा वेद पाल ने ईश्वर के स्वरूप की चर्चा करते हुए बताया कि ईश्वर सर्वत्र व्यापक है हम सीसी कैमरे की तरह उसकी निगरानी में हैं,ऐसा जानने वाला व्यक्ति पापाचरण में संलिप्त नहीं होता। इसके विपरीत सर्वत्र ना मानने वाला व्यक्ति सोचता है प्रभु मुझे नहीं देख रहा तो वह पाप कर देता है जिसका उसे फल दु:ख के रूप में भोगना पड़ता है। ईश्वर सच्चिदानंद स्वरुप है।अर्थात उसमें तीन गुण हैं सत,चित्त और आनंद। जीवात्मा में दो गुण सत और चित्त प्रकृति में एक गुण सत।आनंद चाहिए तो परमात्मा की शरण में जाना पड़ेगा।
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से पधारे स्वामी प्राण देव ने अपने उद्बोधन में श्रोताओं को कहा क़ि आप आर्य समाज के ज्ञानकुंड में स्नान कर रहे हैं। उन्होने आगे कहा क़ि श्रवण, मनन,निदिध्यासन आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए किए जाने वाले तीन अभ्यास हैं। ये अभ्यास गुरु से सत्य सुनने,उस पर विचार करने और एकाग्रता पर ध्यान केंद्रित करने से जुड़े हैं। श्रवण सत्य को सुनना,मनन उसका चिंतन करना,निदिध्यासन उसमें एकनिष्ठ रहना। महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित यम और नियम साधक की मनोदशा को उन्नत बनाते हैं। अविद्या का नाश होता है।ज्ञान का प्रकाश होता है। जीवन सतोगुण प्रधान हो जाता है। उनके अनुसार इस मार्ग पर चलकर ईश्वर साक्षात्कार एवं मोक्ष प्राप्ति संभव है।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे समाज सेवी हिमांशु गर्ग ने कहा कि विद्वानों ने आज जो ईश्वर के स्वरुप के विषय में जो बताया है यदि हम उसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेंगे तो प्रभु कृपा हम पर बनी रहेगी। मंच का कुशल संचालन यशस्वी मंत्री लक्ष्मण सिंह चौहान ने किया। समाज के प्रधान वीके धामा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री डा. वीरेन्द्र नाथ सरदाना,डा.प्रमोद सक्सेना, हरवीर सिंह, सत्य पॉल आर्य,आशा रानी आर्य, बृजपाल गुप्ता, महिपाल सिंह तोमर, प्रेम पाल शर्मा,नरेन्द्र आर्य आदि उपस्थित रहे।