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तेलंगाना बना सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल करने वाला पहला राज्य, उठाया ये कदम

तेलंगाना सरकार ने अनुसूचित जातियों के आरक्षण को लेकर 2025 का अधिनियम लागू कर दिया है। इसके तहत 14 अप्रैल 2025 से राज्य में अनुसूचित जातियों को तीन समूहों में बांटने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस निर्णय के साथ तेलंगाना देश का पहला राज्य बन गया है जिसने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद यह कदम उठाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को अपने फैसले में अनुसूचित जातियों और जनजातियों को उप-श्रेणियों में बांटने की संवैधानिकता को सही ठहराया था। इसके बाद तेलंगाना सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, रोजगार और राजनीतिक आंकड़ों के आधार पर वर्गीकरण किया।
सरकार ने सबसे पिछड़े माने जाने वाले 15 उप-जातियों को समूह-I में रखा है जिन्हें 1% आरक्षण दिया जाएगा, हालांकि इनकी आबादी कुल अनुसूचित जाति आबादी का केवल 0.5% है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि इन समुदायों को शिक्षा और नौकरियों में बेहतर अवसर मिल सकें।
इसके अलावा 18 उप-जातियों को, जिन्हें सीमित लाभ मिले थे, समूह-II में रखा गया है और उन्हें 9% आरक्षण दिया गया है। वहीं, 26 उप-जातियों को, जिनकी स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर मानी गई है, समूह-III में रखा गया है और इन्हें 5% आरक्षण मिलेगा।
इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने वाली कैबिनेट उप-समिति के अध्यक्ष सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी और सह-अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री सी. दामोदर राजनरसिम्हा ने अधिसूचना की प्रति मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को सौंपी। मंत्री दामोदर ने बताया कि 59 उप-जातियों में से 33 को उनके पुराने समूह में ही रखा गया है, जबकि केवल 26 उप-जातियों में बदलाव किया गया है, जो अनुसूचित जाति आबादी का 3.43% हैं।
अब राज्य में सरकारी नौकरियों में भर्ती इसी वर्गीकरण के आधार पर की जाएगी, हालांकि पहले से निकली रिक्तियों पर यह नियम लागू नहीं होगा। सरकार ने यह भी कहा है कि 2026 की जनगणना के बाद अगर आंकड़ों के अनुसार जरूरत पड़ी तो आरक्षण में और वृद्धि की जाएगी।