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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विशेष सत्र बुलाया, सीएम अब्दुल्ला ने कहा-कई हमले होते देखे हैं लेकिन यह 21 साल में सबसे बड़ा हमला

श्रीनगर। पहलगाम में हुए आतंकी हमने के बाद आज जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विशेष सत्र बुलाया गया। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने आज पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा। वहीं इस दौरान विधानसभा में सभी पार्टी के विधायक एक स्वर में इस आतंकी हमले की निंदा की है। सीएम अब्दुल्ला ने निंदा प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मुझे यकीन नहीं होता कि कुछ दिन पहले हम इस हाउस में थे।
माफी मांगने के अल्फाज नहीं थे
वहीं सीएम उमर अब्दुल्ला ने इस दौरान आगे कहा कि बजट और कई मुद्दों पर बहस हुई। अंतिम दिन हम चाय पी रहे थे और सोच रहे थे कि कश्मीर में अगला सत्र होगा। तब किसी ने नहीं सोचा था कि हमें यहां इस माहौल में मिलना पड़ेगा।
बता दें कि सीएम अब्दुल्ला ने इस दौरान कहा कि मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री होने के नाते हमने लोगों को न्योता दिया था यहां आने के लिए। मेजबान होने के नाते मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं सभी को यहां से सुरक्षित भेजूं। नहीं भेज पाया। माफी मांगने के अल्फाज नहीं थे। क्या कहता उनको? छोटे बच्चों को, जिन्होंने अपने वालिद को खून में लिपटा देखा। उस नेवी अफसर के विधवा को, जिसकी शादी ही कुछ दिनों पहले हुई थी।
हम में से कितने हैं जिनके पर हमले हुए
हालांकि इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि मैं उपराज्यपाल का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने हमारी रिक्वेस्ट पर यह सत्र बुलाया। हमारे मंत्रिमंडल में जब इस हमले के बाद बैठक बुलाई इस समय तय हुआ कि हम उपराज्यपाल से गुजारिश करेंगे कि वह एक दिन का सेशन बुलाए। यह सेशन इसलिए बुलाया गया क्योंकि ना सांसद और ना कि किसी और राज्य की असेंबली उन लोगों के दुख दर्द को उतना समझती है जितना यह जम्मू कश्मीर के असेंबली।
उन्होंने कहा स्पीकर साहब आप अपने आगे पीछे देखिए आपके आसपास ऐसे लोग बैठे हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। किसी ने यहां अपने पिता को खोया तो किसी ने अंकल को। हम में से कितने हैं जिनके पर हमले हुए।
21 साल के बाद इतना बड़ा हमला हुआ
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक...पूरा मुल्क इस हमले की लपेट में आया है। यह पहला हमला नहीं था। कई हमले होते देखे हैं। डोडा, अमरनाथ यात्रा, कश्मीरी पंडितों, सरदारों की बस्तियों पर हमले होते देखे। आम नागरिकों पर 21 साल के बाद इतना बड़ा हमला हुआ है।
वहीं सीएम ने आगे कहा कि मुझे कुछ लोगों ने पूछा था कि हमारा कसूर क्या है? हम कुछ दिन पहले ही पहली बार कश्मीर आए थे, छुट्टी मनाने के लिए और इस छुट्टी का अब हमें जिंदगी भर खामियाजा भुगतान पड़ेगा। जिनलोगों ने ये किया। इस हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया है। सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि हम बंदूक के जरिए आतंकवाद को नियंत्रित कर सकते हैं उसे खत्म नहीं कर सकते।