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Puja khedkar Case:सक्षम और दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग परीक्षा नहीं ली जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। पूर्व आईएएस प्रोबेशनर अधिकारी पूजा खेडकर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने समय तय किया है। कोर्ट ने कहा कि सक्षम और दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग परीक्षा नहीं ली जा सकती। पूजा खेडकर पर फर्जी तरीके से सिविल सेवा परीक्षा में दिव्यांग और ओबीसी कोटे का फायदा लेने और धोखाधड़ी करने का आरोप है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पूजा खेडकर की याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की दी है।
खेडकर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत बताया
बता दें कि पूजा खेडकर के वकील ने दिल्ली सरकार के हलफनामे का जवाब देने के लिए कुछ समय देने की मांगा था। अदालत ने 15 अप्रैल तक ही पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से राहत दे दी। दिल्ली सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पूजा खेडकर को राहत देने का विरोध किया और कहा कि उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। उस मध्यस्थ के बारे में पता चल पाए। जिसकी मदद से उन्होंने फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया। एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिव्यांग प्रमाण पत्र की वजह से पूजा खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा देने का अतिरिक्त मौका मिला।
हालांकि पूजा खेडकर की ओर से वरिष्ठ वकील बीना माधवन पेश हुईं। उन्होंने कहा कि हम जांच एजेंसी के साथ पूछताछ में सहयोग के लिए तैयार हैं। खेडकर पर आरोप है कि गलत जानकारी देकर आरक्षण का फायदा उठाया है जबकि खेडकर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत बताया है।
यूपीएससी के फार्म में खुद को ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर बताया
दरअसल, खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान सरकारी आवास, स्टाफ, गाड़ी और दफ्तर में अलग केबिन की मांग की थी। अपनी निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का लोगो लगाया था। यही नहीं आरोप तो यह भी है कि उन्होंने चोरी के आरोप में गिरफ्तार एक ट्रांसपोर्टर को छोड़ने के लिए डीसीपी रैंक के अधिकारी पर दबाव बनाया था। मिली जानकारी के अनुसार आरोप है कि आईएएस बनने के लिए झूठे दस्तावेज का इस्तेमाल करते हुए यूपीएससी के फार्म में खुद को ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर बताया। पूजा ने दिव्यांगता श्रेणी के तहत यूपीएससी का आवेदन पत्र भरा था। दावा किया गया कि वह 40 फीसदी दृष्टिबाधित हैं और किसी मानसिक बीमारी से जूझ रही हैं। हालांकि मेडिकल के दौरान वह कभी नहीं पहुंची।