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भाषा विवाद पर 22 मार्च को कर्नाटक बंद

DeskNoida
19 March 2025 10:22 PM IST
भाषा विवाद पर 22 मार्च को कर्नाटक बंद
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बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगा। इसे कन्नड़ ओक्कुटा, जो विभिन्न कन्नड़ समर्थक संगठनों का संयुक्त मंच है, के नेतृत्व में बुलाया गया है।

प्रो-कन्नड़ संगठनों ने 22 मार्च (शनिवार) को 12 घंटे के राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। यह बंद कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) के एक बस कंडक्टर पर बेलगावी में हुए कथित हमले के विरोध में किया जा रहा है। आरोप है कि कंडक्टर को मराठी में बात न करने पर पीटा गया, जिससे क्षेत्र में पहले से मौजूद भाषाई और क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है।

बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगा। इसे कन्नड़ ओक्कुटा, जो विभिन्न कन्नड़ समर्थक संगठनों का संयुक्त मंच है, के नेतृत्व में बुलाया गया है।

किन सेवाओं पर असर पड़ सकता है?

• शैक्षणिक संस्थान: बंद के कारण स्कूल और कॉलेज प्रभावित हो सकते हैं, खासकर क्योंकि यह परीक्षाओं के दौरान हो रहा है। हालांकि, कुछ शैक्षणिक संगठनों ने नैतिक समर्थन दिया है, लेकिन वे पूरी तरह से बंद करने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।

• परिवहन सेवाएं: KSRTC और बैंगलोर मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (BMTC) के कर्मचारियों के संगठनों ने बंद का समर्थन किया है, जिससे बस सेवाओं में व्यवधान संभव है।

• कैब और ऑटो-रिक्शा सेवाएं: ओला, उबर मालिक और ड्राइवर संघ, साथ ही ऑटो-रिक्शा यूनियन ने भी समर्थन जताया है। इससे इन सेवाओं की उपलब्धता सीमित हो सकती है।

• व्यापार और सिनेमा उद्योग: होटल और फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों ने बंद का नैतिक समर्थन किया है, लेकिन उनके पूर्ण रूप से शामिल होने की संभावना कम है। यानी होटल और सिनेमाघर खुले रह सकते हैं।

प्रदर्शनकारियों की मांगें क्या हैं?

1. प्रो-मराठी संगठनों पर प्रतिबंध: प्रदर्शनकारी कर्नाटक में महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ये संगठन हिंसा फैलाकर राज्य की शांति को भंग कर रहे हैं।

2. कन्नड़ भाषियों के अधिकारों की रक्षा: खासकर बेलगावी जैसे सीमावर्ती इलाकों में कन्नड़ भाषियों के सम्मान और अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष उपायों की मांग की जा रही है।

3. बेंगलुरु के प्रशासनिक विभाजन का विरोध: प्रदर्शनकारी बेंगलुरु को कई प्रशासनिक क्षेत्रों में विभाजित करने के प्रस्ताव का भी विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे कन्नड़ सांस्कृतिक पहचान कमजोर हो सकती है।

4. टू-व्हीलर टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध: कैब और ऑटो-रिक्शा चालक संगठनों ने दो पहिया टैक्सी सेवाओं (बाइक टैक्सियों) पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है, क्योंकि उनका कहना है कि इससे उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।

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