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पुष्कर कुंभ को लेकर तैयारियां हुई पूरी! 1.57 लाख श्रद्धालुओं ने कराया रजिस्ट्रेशन, जानें कब से कब तक होगा आयोजन

Varta24 Desk
23 April 2025 8:30 PM IST
पुष्कर कुंभ को लेकर तैयारियां हुई पूरी! 1.57 लाख श्रद्धालुओं ने कराया रजिस्ट्रेशन, जानें कब से कब तक होगा आयोजन
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चमोली। पुष्कर कुंभ का आयोजन देश के प्रथम गांव माणा में 14 से 25 मई तक होगा। पुष्कर कुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष में होता है। वहीं सरस्वती और अलकनंदा के संगम पर पुष्कर कुंभ इस वर्ष भव्य रूप से मनाया जाएगा। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें शामिल होने के लिए दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों से करीब 1.57 लाख श्रद्धालु पंजीकरण करा चुके हैं।

केशव प्रयाग में सरस्वती नदी और अलकनंदा का संगम

बता दें कि इस धार्मिक आयोजन में खासकर करके देश के पांच राज्य तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, केरल और कर्नाटक के श्रद्धालु शामिल होंगे। वहीं बदरीनाथ धाम से तीन किलोमीटर की दूरी पर माणा गांव में सरस्वती नदी भूमिगत होकर बहती है। कुछ दूरी पर केशव प्रयाग में सरस्वती नदी और अलकनंदा का संगम है। सरस्वती नदी का उद्गम हिमालय से होता है। दक्षिण भारत के श्रद्धालु सदियों से प्रत्येक 12 वर्षों में होने वाले पुष्कर कुंभ के दौरान केशव प्रयाग में स्नान और पूजा पाठ के लिए पहुंचते हैं।

पुष्कर कुंभ का आयोजन बदरीकाश्रम क्षेत्र में होता

बदरीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी का कहना है कि दक्षिण भारत की परंपरा के तहत बृहस्पति जब भी राशि परिवर्तित करता है तब कुंभ का आयोजन होता है। प्रतिवर्ष अलग-अगल नदियों में कुंभ का आयोजन किया जाता है। प्रत्येक 12 वर्षों में बृहस्पति मिथुन राशि में प्रवेश करता है तो माणा गांव में स्थित सरस्वती नदी के संगम पर पुष्कर कुंभ का आयोजन होता है। दक्षिण भारत में अधिकांश वैष्णव समुदाय के लोग रहते हैं। वे विष्णु भगवान को मानते हैं। इसी कारण पुष्कर कुंभ का आयोजन बदरीकाश्रम क्षेत्र में होता है।

होम स्टे और होटलों में हुई एडवांस बुकिंग

दरअसल, इस आयोजन को लेकर माणा गांव के ग्राम प्रधान का कहना है कि पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की ओर से माणा गांव में होम स्टे और होटलों में एडवांस बुकिंग हो चुकी है। उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2013 में एक से 15 जून तक पुष्कर कुंभ हुआ था। तब यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे। इस वर्ष कुंभ का आयोजन मई माह में होगा जबकि साल 2013 में केदारनाथ आपदा से एक दिन पहले माणा गांव में पुष्कर कुंभ का समापन हो गया था।

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