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हमले के मास्टमाइंड की तस्वीर आई सामने, जानें क्या है पाकिस्तान से संबंध, हाफिज सईद का है करीबी

नई दिल्ली। पहलगाम की बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। सभी में आक्रोश और गुस्सा भरा हुआ है। ऐसें में इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। इस हमले का मास्टमाइंड आतंकी सैफुल्लाह खालिद माना जा रहा है। वह हाफिज सईद का बेहद करीबी है। पाकिस्तानी सेना भी खालिद के इर्द-गिर्द काम करती है। आखिर कौन है आंतकी खालिद...
कौन है खालिद
सैफुल्लाह खालिद , जो कि लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ है और कसूरी के नाम से जाना जाता है। यह आंतकी कोई नया नहीं है, बल्कि पहले भी देश में हुए कई बड़े आतंकी हमलों में उसका नाम सामने आ चुका है। सैफुल्लाह लग्जरी कारों का शौकीन है। इसके साथ ही वह लश्कर के आतंकियों के अत्याधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षा घेरे में रहता है।
पाकिस्तानी सेना से है नजदीक का रिश्ता
सैफुल्लाह खालिद की पाकिस्तानी सेना से भी काफी नजदीकी है। पाकिस्तानी सेना पर उसका इतना प्रभाव है कि सेना उसका फूलों से स्वागत करती है। वह सेना के अधिकारियों की पूरी मदद करता है। साथ ही पाकिस्तानी सेना के जवानों को भारत के खिलाफ भड़काता है। पहलगाम आतंकी हमले से दो महीने पहले सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था।
यहां उसे पाकिस्तानी सेना के कर्नल जाहिद जरीन खट्टक ने जिहादी भाषण देने के लिए वहां बुलाया था। वहां उसने पाकिस्तानी सेना को भारत के खिलाफ भड़काया। बता दें कि आंतकी का दबदबा पाकिस्तानी सेना के बीच काफी गहरा है।
दो फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्जा
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की बैठक में उसने कहा था मैं वादा करता हूं कि आज 2 फरवरी 2025 है। हम दो फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे। आने वाले दिनों में हमारे मुजाहिदीन हमले तेज होंगे। दो फरवरी 2026 तक कश्मीर आजाद हो जाएगा। उसके भाषण को सुनने के लिए बड़ी संख्या में हथियारबंद आतंकी शामिल हुए थे। आंतकी खालिद ने कश्मीर को लेकर भड़काऊ भाषण दिया था।
टीआरएफ की शुरुआत
टीआरएफ एक उग्रवादी संगठन है। इस संगठन की शुरुआत 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ होती है। कहा जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। धीरे-धीरे यह संगठन अपनी ताकत को बढ़ाता चला गया और इसे पाकिस्तान समर्थित कुछ आतंकी संगठनों के साथ खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी साथ मिला। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया।