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नेशनल हेराल्ड मामला: बीजेपी ने कहा – लूट की किसी को छूट नहीं

नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद बीजेपी ने बुधवार को कांग्रेस के "राजनीतिक बदले" के आरोप को खारिज कर दिया। बीजेपी नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार में कानून अपना काम करेगा और जांच एजेंसियां किसी भी तरह के दबाव या धमकी से नहीं डरेंगी।
प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस को जांच के जवाब में सिर्फ राजनीतिक प्रतिक्रिया देने के बजाय आरोपों के मूल बिंदुओं पर जवाब देना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस की ओर से जांच पर रोक लगाने की जो याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई थीं, उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
बीजेपी नेता ने दावा किया कि गांधी परिवार ने यंग इंडिया नाम की कंपनी के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया, जिसमें हज़ारों करोड़ की संपत्ति शामिल है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार सरकारी संपत्तियों के गलत इस्तेमाल की अनुमति नहीं देता।
प्रसाद ने आरोप लगाया कि यंग इंडिया ने सिर्फ 50 लाख रुपये की मामूली राशि निवेश करके कांग्रेस द्वारा AJL को दिए गए 90 करोड़ रुपये के कर्ज को खत्म कर दिया और कंपनी पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया। उन्होंने बताया कि यह जमीन सरकार की ओर से AJL को दी गई थी, लेकिन इसका इस्तेमाल अखबार के नाम पर विज्ञापन और संपत्तियां जुटाने के लिए किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि कभी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए शुरू किया गया अखबार अब कांग्रेस के लिए पैसे कमाने का ज़रिया बन गया है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह "गांधी मॉडल ऑफ डेवलपमेंट" है और साथ ही हरियाणा में रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े जमीन सौदे का जिक्र भी किया।
प्रसाद ने दावा किया कि सरदार वल्लभभाई पटेल और चंद्रभानु गुप्ता जैसे कांग्रेस नेता भी नेशनल हेराल्ड के संचालन के तरीके पर चिंता जता चुके थे। अब यह अखबार बंद हो चुका है और इसका पूरा नियंत्रण नेहरू-गांधी परिवार तक सीमित हो गया था।
ईडी ने दिल्ली की एक विशेष अदालत में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ लगभग 988 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है। कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया और आरोप लगाया कि संपत्तियों की जब्ती को कानून के नाम पर एक "राज्य प्रायोजित अपराध" के रूप में अंजाम दिया गया है।