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MAHAKUMBH: नहाने लायक था त्रिवेणी संगम पर गंगा का जल, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नई रिपोर्ट की पेश

नई दिल्ली। गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता को लेकर महाकुंभ से ही विवाद छिड़ा है। वहीं इस विवाद के बीच केंद्र सरकार ने संसद में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की नई रिपोर्ट पेश की है। सरकार ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक प्रयागराज में हुए महाकुंभ के दौरान भी त्रिवेणी संगम पर गंगा का पानी नहाने लायक था। रिपोर्ट में बताया गया कि गंगा नदी की सफाई के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में कुल 7,421 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
सभी तत्व स्नान के लिए लायक सीमा के अंदर थे
बता दें लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया और कांग्रेस सांसद के सुधाकरन के सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार गंगा नदी के पानी में सभी तत्व जैसे पीएच, घुलित ऑक्सीजन (डीओ), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और फेकल कोलीफॉर्म (एफसी) के औसत मान स्नान के लिए लायक सीमा के अंदर थे।
उन्होंने आगे कहा कि सीपीसीबी ने श्रृंगवेरपुर घाट से लेकर दीहाघाट तक, संगम नोज सहित सात स्थानों पर सप्ताह में दो बार जल गुणवत्ता की निगरानी की गई है। निगरानी 12 जनवरी से शुरू हुई और इसमें अमृत स्नान के दिन भी शामिल थे। सीपीसीबी ने तीन फरवरी को एनजीटी को अपनी प्रारंभिक निगरानी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें 12 से 26 जनवरी 2025 के बीच एकत्र जल गुणवत्ता डाटा शामिल था।
गंदे पानी के उपचार के लिए 10 एसटीपी स्थापित किए थे
दरअसल, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस रिपोर्ट में प्रयागराज में स्थापित 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सात जियोसिंथेटिक डिवाटरिंग ट्यूब (जियो-ट्यूब) के निगरानी का डाटा भी शामिल था। बाद में सीपीसीबी ने निगरानी स्थानों की संख्या बढ़ाकर 10 कर दी और जल गुणवत्ता डाटा की उपलब्धता में सुधार के लिए 21 फरवरी से प्रतिदिन दो बार परीक्षण शुरू किया।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के लिए गंदे पानी के उपचार के लिए 10 एसटीपी स्थापित किए। इसके साथ ही 21 अप्रयुक्त नालों से अपशिष्ट जल के उपचार के लिए अस्थायी समाधान के रूप में सात जियो-ट्यूब स्थापित किए गए हैं। मेला क्षेत्र में 500 किलोलीटर प्रतिदिन क्षमता वाले तीन पूर्वनिर्मित अस्थायी एसटीपी तथा 200 केएलडी की कुल क्षमता वाले तीन मल-गाद उपचार संयंत्र स्थापित किए गए।