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अगले सप्ताह फिर परमाणु वार्ता करेंगे ईरान और अमेरिका

DeskNoida
13 April 2025 1:00 AM IST
अगले सप्ताह फिर परमाणु वार्ता करेंगे ईरान और अमेरिका
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यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बने हैं और दोनों देशों के बीच लंबे समय बाद किसी मुद्दे पर प्रत्यक्ष संपर्क हुआ है।

ईरान और अमेरिका के बीच अगले सप्ताह फिर से बातचीत होने जा रही है, जिसमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चर्चा की जाएगी। ईरान के सरकारी टेलीविजन चैनल ने यह जानकारी दी है। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बने हैं और दोनों देशों के बीच लंबे समय बाद किसी मुद्दे पर प्रत्यक्ष संपर्क हुआ है।

ईरान की ओर से कहा गया है कि यह बैठक शनिवार, 19 अप्रैल को होगी। पहली दौर की बातचीत हाल ही में मस्कट, ओमान के बाहरी इलाके में हुई थी। दोनों पक्ष करीब दो घंटे तक बातचीत में शामिल रहे। बताया गया कि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची और अमेरिकी मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ़ ने संक्षेप में आमने-सामने बात की, जो पिछले कई वर्षों में पहली बार हुआ है।

हालांकि अमेरिका की ओर से इस बैठक को लेकर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन ईरानी मीडिया ने इस बातचीत को सकारात्मक बताया है। अराकची ने ईरानी चैनल से कहा कि चार दौर की बातचीत हुई और बातचीत को रचनात्मक माना जा सकता है।

बातचीत के स्थान पर मौजूद पत्रकारों ने बताया कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का काफिला ओमान के विदेश मंत्रालय से निकलकर एक परिसर में गया, जहां कुछ ही देर बाद ईरान के प्रवक्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा कि अप्रत्यक्ष वार्ता शुरू हो चुकी है।

बातचीत को लेकर दोनों पक्षों ने साफ किया है कि वे समय बर्बाद करने या बेनतीजा वार्ता के पक्ष में नहीं हैं। उनका लक्ष्य जल्द से जल्द कोई समाधान निकालना है, हालांकि दोनों पक्षों ने यह भी माना कि यह आसान नहीं होगा।

ट्रंप पहले भी कह चुके हैं कि अगर कोई समझौता नहीं होता है, तो ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, ईरान की ओर से बार-बार कहा गया है कि अगर दबाव बढ़ा तो वे भी हथियार-स्तर की यूरेनियम संवर्धन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

यह वार्ता उस पृष्ठभूमि में हो रही है जहां दोनों देशों के संबंध करीब पांच दशकों से तनावपूर्ण बने हुए हैं। हालांकि, अब जब दोनों देशों के प्रतिनिधि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बातचीत में जुटे हैं, तो यह संकेत है कि समाधान की संभावना बनी हुई है।

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