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सरकार ने Samsung पर लगाया 5,174 करोड़ का जुर्माना; नाक के नीचे कंपनी कर रही थी इतनी बड़ी गड़बड़ी

DeskNoida
25 March 2025 9:30 PM IST
सरकार ने Samsung पर लगाया 5,174 करोड़ का जुर्माना; नाक के नीचे कंपनी कर रही थी इतनी बड़ी गड़बड़ी
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रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैमसंग की नेटवर्क डिविजन द्वारा मोबाइल टावरों में इस्तेमाल होने वाले कुछ अहम उपकरणों को गलत श्रेणी में दिखाने का मामला जांच के दायरे में था।

भारतीय सरकार ने सैमसंग पर टेलीकॉम उपकरणों के आयात में कथित गड़बड़ी के आरोप में 5,174 करोड़ रुपये (करीब 601 मिलियन डॉलर) का टैक्स और जुर्माना लगाने का नोटिस जारी किया है। इस पर दक्षिण कोरियाई कंपनी ने मंगलवार को कहा कि वह भारत के सभी कानूनों का पालन करती है और कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।

यह टैक्स मांग भारत में सैमसंग के शुद्ध मुनाफे के एक बड़े हिस्से के बराबर है। पिछले साल कंपनी का शुद्ध लाभ 955 मिलियन डॉलर था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैमसंग की नेटवर्क डिविजन द्वारा मोबाइल टावरों में इस्तेमाल होने वाले कुछ अहम उपकरणों को गलत श्रेणी में दिखाने का मामला जांच के दायरे में था। कहा जा रहा है कि ये उपकरण कंपनी ने रिलायंस जियो को बेचे थे। हालांकि, रिलायंस जियो की ओर से इस मामले पर कोई बयान नहीं आया है।

सैमसंग इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी एक जिम्मेदार संगठन है और भारत के सभी नियमों का पालन करती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला सीमा शुल्क विभाग द्वारा माल के वर्गीकरण की व्याख्या से जुड़ा है और कंपनी अपने कानूनी अधिकारों की सुरक्षा के लिए विकल्पों का आकलन कर रही है। सैमसंग का दावा है कि इन उपकरणों पर आयात शुल्क लागू नहीं होता और अधिकारियों को वर्षों से इसकी वर्गीकरण प्रक्रिया की जानकारी थी।

इस मामले में अब तक कस्टम विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

इस बीच, ‘मेड इन इंडिया’ स्मार्टफोन शिपमेंट में पिछले साल 6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। एप्पल और सैमसंग के बढ़ते निर्यात के चलते यह इजाफा हुआ। 2024 में भारत से निर्यात किए गए कुल स्मार्टफोन्स में से 94 फीसदी हिस्सेदारी केवल एप्पल और सैमसंग की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैमसंग ने भी बीते साल भारत में अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत किया और 7 फीसदी की सालाना वृद्धि दर्ज की।

भारत सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना से वैश्विक कंपनियों को देश में अपने विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने और विस्तार करने में मदद मिली है।

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