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सरकारी स्कूल में 8वीं की छात्रा को पीरियड्स आने पर टीचर ने किया शर्मनाक हरकत, जान कर रह जाएंगे हैरान

कोयंबटूर, तमिलनाडु। जहां आजकल लड़का और लड़कियों में भेदभाव कम हो रहे हैं, यहां तक कि सरकार भी इसको लेकर कई योजनाएं लाती हैं। जिसमें लड़की और लड़का के बीच जो खाई है उसे काफी कम करने की बात कही जाती है। वहीं तमिलनाडु के कोयंबटूर के एक सरकारी स्कूल में 8वीं कक्षा की दलित छात्रा के साथ ऐसा बर्ताव किया गया जिसे जानकर हर कोई दंग रह जाएगा और ये सोचने पर मजबूर हो जाएगा की क्या लड़कियों अछूत हैं। अब इस घटना का एक वीडियो वायरल हो रहा है।
बता दें कि कोयंबटूर के स्कूल में 8वीं की एक छात्रा के साथ घिनौनी करतूत की गई, जहां छात्रा को पीरियड्स के कारण क्लास से बाहर सीढ़ियों पर बैठाकर परीक्षा दिलाने का मामला सामने आया है। हालांकि इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद स्कूल प्रशासन की पोल खुलने के बाद फिलहाल प्रिंसिपल को निलंबित कर मामले को दबाने की कोशिश की गई है।
सीढ़ियों पर बैठकर पेपर देने की दी इजाजत
दरअसल, परीक्षा के दौरान छात्रा को पीरियड्स शुरू हो गए। जिसके बाद स्कूल हेडमिस्ट्रेस ने उसे क्लास से बाहर सीढ़ियों पर बैठकर पेपर देने की इजाजत दी। हालांकि इस घटना को लेकर स्कूल ने दावा किया है कि माता-पिता ने ही बाहर बैठाने की मांग की थी। इसके जवाब में छात्रा की मां का कहना है कि मैंने सिर्फ थोड़ा अलग बैठाने को कहा था, बाहर नहीं जबकि इस घटना पर राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री अनबिल महेश का कहना है कि बच्चों के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रिंसिपल को निलंबित किया गया है। प्राइवेट स्कूल शिक्षा निदेशक डॉ. एम. पलामीसामी की जांच की जा रही है।
बता दें कि 2024 में मेन्स्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी लागू हुई, जिसका उद्देश्य पीरियड्स के कारण स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या कम करना है। 2016 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 25% लड़कियां पीरियड्स के दौरान स्कूल नहीं जाती हैं क्योंकि शौचालय और सैनिटरी नैपकिन की कमी है।
सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने के निर्देश
भारत सरकार और शिक्षा मंत्रालय ने मासिक धर्म (पीरियड्स) से जुड़ी स्वच्छता और जागरूकता को लेकर स्कूलों के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसमें प्रमुख है
सभी स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता (कई राज्यों में मुफ्त वितरण)। शौचालयों में डिस्पोजल सिस्टम और साबुन, पानी की व्यवस्था। किशोरियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम (आशा कार्यकर्ताओं द्वारा)। सेक्स एजुकेशन को NCERT पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है (कक्षा 6-12 तक)। पीरियड्स पर चर्चा को सामान्य बनाने पर जोर, ताकि लड़कियों को शर्मिंदगी न हो। कुछ राज्यों (जैसे बिहार, केरल) में पीरियड लीव की अनुमति, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अभी कोई एकरूपता नहीं। स्कूल नर्स, काउंसलर की उपलब्धता ताकि आपात स्थिति में मदद मिल सके।
गर्ल्स टॉयलेट अलग और साफ-सुथरे होने चाहिए। सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने के निर्देश (केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता)। शिक्षकों को मासिक धर्म संबंधी मिथकों को दूर करने और वैज्ञानिक जानकारी देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। अगर स्कूल नियमों का पालन न करे तो क्या करें? राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की हेल्पलाइन नंबर 1098 पर संपर्क करें।