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सिंधु जल संधि निलंबन से कैसे होगा पाकिस्तान को नुकसान? जानिए पूरा सच

DeskNoida
25 April 2025 10:15 PM IST
सिंधु जल संधि निलंबन से कैसे होगा पाकिस्तान को नुकसान? जानिए पूरा सच
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संधि के निलंबित होने से भारत अब पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली से संबंधित कोई भी जल डेटा साझा करने के लिए बाध्य नहीं रहा।

भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले से पाकिस्तान के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष कुशविंदर वोहरा ने एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि यह कदम पाकिस्तान को कई मायनों में प्रभावित करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि संधि के निलंबित होने से भारत अब पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली से संबंधित कोई भी जल डेटा साझा करने के लिए बाध्य नहीं रहा।

यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद लिया गया है। वोहरा ने चेतावनी देते हुए कहा, "मानसून के दौरान भारत पाकिस्तान को बाढ़ पूर्वानुमान या नदियों के जल स्तर से संबंधित कोई जानकारी नहीं देगा, जिससे उनकी कृषि और जल प्रबंधन प्रणाली प्रभावित हो सकती है।" उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि पाकिस्तान का रवैया नहीं बदलता है, तो भारत इस संधि को पूर्णतः समाप्त भी कर सकता है।

इस संधि के तहत, जिस पर 19 सितंबर 1960 को विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षर किए गए थे, छह नदियों के जल संसाधनों का बंटवारा किया गया था। पूर्वी नदियों (सतलज, ब्यास और रावी) का संपूर्ण जल भारत के उपयोग के लिए आवंटित किया गया है, जबकि पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का अधिकांश जल पाकिस्तान को दिया गया है। हालांकि, संधि भारत को पश्चिमी नदियों पर रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाएं बनाने की अनुमति देती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह निलंबन भारत को अपने जल संसाधनों के प्रबंधन में अधिक स्वायत्तता प्रदान करेगा। वोहरा ने कहा, "अब हम पश्चिमी नदियों पर अधिक भंडारण परियोजनाएं विकसित कर सकते हैं, जो पहले संधि की शर्तों के कारण संभव नहीं था।" उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने भारत की कई जलविद्युत परियोजनाओं पर अनावश्यक आपत्तियां उठाई हैं, जिससे इन परियोजनाओं में देरी हुई है।

इस निर्णय के साथ ही, दोनों देशों के जल आयुक्तों की वार्षिक बैठकें भी प्रभावित होंगी। कोविड-19 महामारी के बाद से ये बैठकें पहले ही अनियमित हो चुकी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया मोड़ ला सकता है, जिसमें जल संसाधन एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है।सिंधु जल संधि निलंबन से पाकिस्तान को कैसे नुकसान होगा? पूर्व अधिकारी ने समझाया

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