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बदलता भारत: अब वाहनों के हॉर्न में पों-पों की जगह बांसुरी, तबला, वायलिन, हारमोनियम सुनाई देगी, जानें नितिन गडकरी की योजना

नई दिल्ली (राशी सिंह)। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को एक नई पहल की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार एक ऐसे कानून पर विचार कर रही है, जिसके तहत वाहनों के पारंपरिक तेज़ हॉर्न की जगह अब भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों जैसे बांसुरी, तबला, वायलिन, हारमोनियम और माउथ ऑर्गन की मधुर ध्वनियों का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा।
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने कहा, "मैं एक कानून बनाने की योजना बना रहा हूं कि सभी वाहनों के हॉर्न भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों में होने चाहिए ताकि उन्हें सुनना सुखद हो।" उन्होंने बताया कि यह कदम शहरी जीवन की ध्वनि प्रदूषण की समस्या को कम करने और सड़कों को अधिक सौम्य अनुभव बनाने के लिए उठाया जा रहा है।
यह विचार पहली बार नहीं आया है। गडकरी 2021 में भी इस प्रकार के कानून की संभावना जता चुके हैं। इस बार उन्होंने यह भी बताया कि एम्बुलेंस और पुलिस वाहनों के सायरनों की जगह ऑल इंडिया रेडियो (AIR) की मधुर धुनें लगाने की योजना भी विचाराधीन है। साथ ही, सरकार वाहनों के हॉर्न के लिए लगभग 50 डेसिबल की ऊपरी सीमा निर्धारित करने पर भी काम कर रही है।
वायु प्रदूषण से लड़ाई में हरित ईंधन का सहारा
गडकरी ने यह भी बताया कि भारत में वायु प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र की भागीदारी लगभग 40% है। इसे कम करने के लिए मोदी सरकार मेथनॉल और इथेनॉल जैसे हरित और जैव ईंधनों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। यह 'स्वच्छ और स्वस्थ भारत' की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत बना तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार
कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग की प्रगति पर भी रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि 2014 में यह उद्योग 14 लाख करोड़ रुपये का था, जो अब बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपये हो गया है। भारत अब जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन चुका है, सिर्फ अमेरिका और चीन इससे आगे हैं।
रिकॉर्ड तोड़ बिक्री और निर्यात
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारत के यात्री वाहन (PV) खंड ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है:
घरेलू बिक्री: 43,01,848 इकाइयां, जो पिछले वर्ष के 42,18,750 इकाइयों से 1.97% अधिक है।
निर्यात: 7,70,364 इकाइयां, जो पिछले वर्ष के 6,72,105 इकाइयों से 14.62% अधिक है।
SIAM का कहना है कि यह वृद्धि मुख्य रूप से यूटिलिटी वाहनों (UV) की लोकप्रियता और भारत में निर्मित वैश्विक मॉडलों की विदेशी बाजारों, विशेषकर लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में बढ़ती मांग के कारण हुई है। कुछ भारतीय वाहन निर्माता अब विकसित देशों को भी निर्यात कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया
गडकरी की इस पहल को सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिली हैं। कुछ लोगों ने इस कदम का स्वागत किया, तो वहीं कईयों ने इसे मीम्स और हास्य के रूप में लिया। एक यूज़र ने मजाकिया अंदाज़ में लिखा, "गडकरी के अभिनव विचारों की बदौलत, हम अब ट्रैफिक में नहीं फंसेंगे, बल्कि एक शास्त्रीय संगीत समारोह में फंसेंगे!"