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2030 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की दिशा में Apple की बड़ी उपलब्धि

Apple ने जुलाई 2020 में घोषणा की थी कि वह अपने पूरे कारोबार, निर्माण श्रृंखला और उत्पाद जीवनचक्र में 2030 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखेगा। कंपनी इस दिशा में लगातार काम कर रही है और अब तक अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 60 प्रतिशत की कमी ला चुकी है।
कंपनी ने बताया कि दुनियाभर के उसके कॉर्पोरेट ऑफिस, जिनमें भारत के कार्यालय भी शामिल हैं, अब पूरी तरह नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित होते हैं। वर्ल्ड अर्थ डे से पहले कंपनी ने जानकारी दी है कि उसने नवीकरणीय बिजली के इस्तेमाल और पुनर्चक्रित सामग्री से उत्पाद डिजाइन कर करीब 4.1 करोड़ मीट्रिक टन ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को रोका है। यह 2015 के मुकाबले 60 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।
फिलहाल Apple की वैश्विक सप्लाई चेन में 17.8 गीगावॉट की नवीकरणीय बिजली इस्तेमाल हो रही है, जिससे पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक उत्सर्जन में कटौती संभव हुई है। कंपनी ने कहा कि इसके 26 प्रमुख सेमीकंडक्टर आपूर्तिकर्ताओं ने 2030 तक Apple से जुड़े उत्पादन स्थलों में एफ-जीएचजी गैसों के 90 प्रतिशत तक उत्सर्जन में कमी का वादा किया है।
Apple ने यह भी बताया कि वह अब सभी मैग्नेट्स में 99 प्रतिशत पुनर्चक्रित दुर्लभ धातुओं और सभी खुद के डिजाइन किए गए बैटरियों में 99 प्रतिशत पुनर्चक्रित कोबाल्ट का इस्तेमाल कर रहा है। भारत में भी कंपनी उत्सर्जन में कमी के लिए प्रयास कर रही है। 'पावर फॉर इम्पैक्ट' पहल के तहत Apple ने दूरदराज के गांवों में सौर ऊर्जा की व्यवस्था की है जिससे स्कूल और मेडिकल क्लिनिक चल सकें।
इसके अलावा कंपनी ने जल संरक्षण के लिए भी 2030 तक उच्च जल-संकट वाले क्षेत्रों में 100 प्रतिशत जल पूर्ति का लक्ष्य रखा है। भारत में यह लक्ष्य 2023 में ही पूरा कर लिया गया। बीते दो वर्षों में Apple ने Uptime Catalyst Facility के साथ साझेदारी कर 4 करोड़ गैलन पीने योग्य पानी की उपलब्धता कराई है।
बेंगलुरु में कंपनी ने फ्रैंक वॉटर और स्थानीय भागीदारों के साथ मिलकर अनेकल क्षेत्र में एक जल परियोजना शुरू की थी। अब Apple इस परियोजना को चेन्नई तक विस्तार देने की योजना बना रही है।