- Home
- /
- टेक्नोलॉजी
- /
- चंद्रयान 3 के बाद इसरो...
चंद्रयान 3 के बाद इसरो अब अपने पहले सोलर मीशन आदित्य L1 को लॅाच करने की तैयारी में है
आदित्य L1 को कल 2 सितंबर सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर PSLV XL रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। 30 अगस्त को इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा था कि आदित्य L1 की लॉन्चिंग की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं। हमने लॉन्चिंग के लिए रिहर्सल भी कर ली है। मिशन को सटीक दायरे तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। वहीं, इसरो ने कहा- व्हीकल के इंटरनल चेक पूरे कर लिए गए हैं। ये करीब 4 महीने में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैगरेंज पॉइंट-1 यानी L1 पॉइंट तक पहुंचेगा। आदित्य स्पेसक्राफ्ट, L1 पॉइंट के चारों ओर घूमकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा। इसके अलावा मैग्नेटिक फील्ड और सोलर विंड जैसी चीजों की स्टडी करेगा। आदित्य में प्रयोग के लिए 7 पेलोड लगे हैं।
आदित्य यान L1 पॉइंट पर ही क्यों भेजा जाएगा
आदित्य को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। L1 पॉइंट के चारों ओर की ऑर्बिट को हेलो ऑर्बिट कहा जाता है। इसरो का कहना है कि L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। उम्मीद की जा रही है कि आदित्य L1 के पेलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटीज की विशेषताओं, पार्टिकल्स की मूवमेंट और स्पेस वेदर को समझने के लिए जानकारी देंगे।
L1 क्या है?
लैगरांजे पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरांजे के नाम पर रखा गया है। यह सामान्य तौर पर एल-1 के नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्युगल फोर्स बन जाता है। ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और एनर्जी भी कम लगती है। पहला लैग्रेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। आम शब्दों में कहें तो एल-1 ऐसा पॉइंट है जहां पर कोई भी ऑब्जेक्ट सूर्य और धरती से बराबर दूरी पर स्थिर रह सकता है।