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टेक्नोलॉजी

इसरो: 23 सितंबर को फिर से एक्टिव हो सकते हैं चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर! जानिए क्या बोले अंतरिक्ष विज्ञानी

Abhay updhyay
21 Sep 2023 9:20 AM GMT
इसरो: 23 सितंबर को फिर से एक्टिव हो सकते हैं चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर! जानिए क्या बोले अंतरिक्ष विज्ञानी
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इसरो का चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, लेकिन खबर आ रही है कि यह मिशन अब दोबारा शुरू हो सकता है। दरअसल, इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर 23 सितंबर को फिर से सक्रिय हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो चंद्रयान का रोवर चंद्रमा की सतह पर और अधिक प्रायोगिक डेटा इसरो को भेज सकता है।

सोलर पैनल की मदद से लैंडर और रोवर दोबारा सक्रिय हो सकते हैं

इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा, '3 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रात होने के कारण चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। नीलेश देसाई ने बताया कि लैंडर और रोवर पर सौर पैनल लगाए गए हैं और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दिन आने पर इन्हें रिचार्ज किया जा सकता है। नीलेश देसाई ने कहा, 'हमारी योजना के मुताबिक, लैंडर विक्रम और रोवर को 23 सितंबर को पुनर्जीवित किया जा सकता है। चंद्रमा पर अब दिन शुरू हो चुका है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि जब रात के दौरान चंद्रमा की सतह पर तापमान शून्य से 120 से शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाएगा तो सौर पैनल फिर से ठीक से काम कर पाएंगे या नहीं।'

देसाई ने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे हैं कि लैंडर के चार सेंसर और रोवर के दो सेंसर में से कुछ फिर से काम करना शुरू कर सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो हम भविष्य में भी चंद्रमा पर नये प्रयोग कर सकेंगे। आपको बता दें कि चंद्रमा पर दिन और रात पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होते हैं। अर्थात 14 दिन तक दिन और इतने ही दिन तक रात होती है। जब चंद्रयान 3 का लैंडर चंद्रमा पर उतरा, उस समय चंद्रमा पर भोर हो रही थी। यही कारण था कि 14 दिनों तक काम करने के बाद लैंडर और रोवर स्लीप मोड में चले गए।

इसरो के पास पहले से ही काफी डेटा है

जब अंतरिक्ष यात्री डॉ. आरसी कपूर से लैंडर और रोवर के दोबारा सक्रिय होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'लैंडर और रोवर ने अपना काम कर लिया है. जब दोनों को स्लीप मोड में डाला गया तो दोनों के सभी डिवाइस ठीक से काम कर रहे थे। इसरो पहले ही काफी डेटा इकट्ठा कर चुका है. हो सकता है कि उपकरण फिर से पहले जैसी स्थिति में काम न कर पाएं लेकिन अभी भी कुछ उम्मीद बाकी है. हो सकता है हमें कोई अच्छी खबर मिल जाए. चंद्रमा पर दिन की शुरुआत हो चुकी है. रोवर को पहले से ही इस तरह से रखा गया है कि जब सूरज निकले तो उसकी रोशनी सीधे रोवर के सोलर पैनल पर पड़े।

Abhay updhyay

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