जब कविता प्रतिरोध का स्वर बनती है तो उसका दायित्व बढ़ जाता है- प्रोफेसर डॉ राजेन्द्र गौतमपेड़ों की छांव तले रचना पाठ की 115 वीं गोष्ठी सम्पन्न। विगत दस वर्षों से हर माह निर्धारित चौथे रविवार को आयोजित...