रिषिकेश फिर खतरे में , क्या गंगा माता राम झूले को निगल जाएंगी ?
ऋषिकेश का राम झूला हमारी यादों में बसा हुआ है, लेकिन आज यह झूला खतरे में है, ऋषिकेश में गंगा अपना रौद्र रूप दिखा रही हैं। गंगा का जलस्तर निरंतर बड़ा होने के कारण तटीय इलाकों में भूकटाव हो रहा है। भगवान भोलेनाथ की बनी मूर्ति एक बार फिर से पानी में डूबने लगी है। इसी बीच गुरुवार को राम झूला आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है।
बड़ी संख्या में पर्यटक तथा स्थानीय नागरिक यहां स्वर्ग आश्रम क्षेत्र में जाने के लिए पहुंच रहे हैं, जिन्हें जानकी सेतु से आगे भेजा जा रहा है। पुल के नीचे करीब 30 मीटर तक कटाव हो गया है। गंगा का जलस्तर अभी भी बढ़ा हुआ है, जिससे कटाव लगातार बढ़ रहा है। मुनि की रेती तथा स्वर्ग आश्रम-लक्ष्मण झूला को जोड़ने के लिए अब एकमात्र जानकी सेतु ही विकल्प रह गया है।
राम झूले का इतिहास भी काफी पुराना है,राम झूला पुल का निर्माण 07 मार्च 1985 से आरंभ हुआ था जो 05 अप्रैल 1986 को पूरा हो पाया। तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्य में 1.02 करोड़ की लागत से बना यह पुल उस समय राज्य का सबसे लंबा झूला पुल था। पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश शासकीय निर्माण विभाग की ओर से कराया गया था।
शुरुआत में इस पुल का नाम शिवानंद झूला रखा गया था, जो बाद में राम झूला के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 220.4 मीटर लंबाई तथा 02 मीटर चौड़ाई वाले इस पुल के टावर की ऊंचाई 21 मीटर है, जो 44 मिमी व्यास के 24 रस्सों पर टिका हुआ है।
खास बात ये है कि ऋषिकेश में नदी के दो किनारों को पार करने के लिए दो पुल बने हैं। एक राम झूला और दूसरा लक्ष्मण झूला। लक्ष्मण झूला तो पहले ही लोगों की आने जाने के लिए बंद कर दिया गया था। लक्ष्मण झूला को 13 जुलाई 2019 को सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट के बाद आने जाने के लिए बंद कर दिया गया था।