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धर्म

आज से थम जाएगी शहनाई, इस वजह से चार महीने तक अब नहीं होगी शादी

Neelu Keshari
16 July 2024 6:59 AM GMT
आज से थम जाएगी शहनाई, इस वजह से चार महीने तक अब नहीं होगी शादी
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गाजियाबाद। आज यानी 16 जुलाई को आखिरी विवाह का मुहूर्त है। उदयातिथि के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को शुरू होगा। इस दिन भगवान विष्णु के शयन में जाने की कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार चार महीनों तक भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं। यह चार महीने 'चातुर्मास' कहलाते हैं, जिनमें विवाह, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी या तुरी एकादशी भी कहते हैं। आषाढ़ शुक्ल की एकादशी तिथि का आरंभ 16 जुलाई रात 08:33 से शुरू होगा और इसका समापन 17 जुलाई रात 09:02 पर होगा।

सृष्टि के संचालन का कार्यभार संभालते हैं भगवान शिव

सृष्टि के संचालक और पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु हैं। ऐसे में देवशयनी एकादशी के बाद भगवान पूरे चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि को भगवान का भी शयनकाल कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के शयनकाल में जाने के बाद सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। इसलिए चातुर्मास के चार महीनों में विशेषरूप से शिवजी की उपासना फलदाई है।

देवशयनी एकादशी का महत्व

देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के व्रत से विशेष रूप से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

पूजा विधि

भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और धूप, दीप, चंदन, पुष्प आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु को पंचामृत और फल का नैवेद्य अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।

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