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धर्म

25 नवंबर को शनिवार और त्रयोदशी का योग, इसके बाद 2036 में बनेगा शनि प्रदोष का ऐसा संयोग |

SaumyaV
25 Nov 2023 11:03 AM GMT
25 नवंबर को शनिवार और त्रयोदशी का योग, इसके बाद 2036 में बनेगा शनि प्रदोष का ऐसा संयोग |
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आज, 25 नवंबर को कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी है। शनिवार होने के कारण ये महापुण्य देने वाली तिथि बन गई है। धर्म ग्रंथों के जानकारो का मानना है कि इस योग में शिवलिंग का पूजन करने से हर तरह की इच्छाएं पूरी होती हैं और जाने-अनजाने में हुए सभी पाप भी खत्म हो जाते हैं। ऐसा शुभ संयोग अब 13 साल बाद यानी 2036 में बनेगा।

स्कंद पुराण के केदार खंड में लिखा है कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि अगर शनिवार को हो तो उस दिन प्रदोष काल में यानी शाम के वक्त शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।

इस तरह शनि प्रदोष के संयोग में शिवजी की पूजा करने से महा पुण्य मिलता है। ये व्रत हर तरह की मनोकामना पूरी करने वाला माना जाता है।

कैसे करें शिव पूजन

इस योग में दोपहर के वक्त पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं। इसके बाद सूर्यास्त के समय शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत और फिर शुद्ध जल चढ़ाएं। शिवजी का अभिषेक करें। चंदन, अबीर, गुलाल, बिल्वपत्र, फूल, फल, सुगंधित पूजन सामग्री के साथ तिल और आंवले से शिवजी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही देवी पार्वती का पूजन भी करें।

गांव और उसके बाहर बने शिव मंदिरों में घी के दीपक जलाएं। इसके अलावा 32 तिल के तेल के दीपक भी लगा सकते हैं। शिवजी की परिक्रमा भी करें।

शनि प्रदोष है खास

शनिदेव के गुरू भगवान शिव हैं, इसलिए शनि संबंधी दोष दूर करने और शनिदेव की शांति के लिए शनि प्रदोष का व्रत किया जाता है। संतान पाने की कामना के लिये शनि त्रयोदशी का व्रत खासतौर से सौभाग्यशाली माना जाता है।

इस व्रत से शनि का प्रकोप, शनि की साढ़ेसाती या ढैया का अशुभ असर कम हो जाता है। शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत धन-धान्य और हर तरह के दुखों से छुटकारा देने वाला होता है।

इस दिन दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करने से शनि के अशुभ असर से बचा जा सकता है। इसके अलावा शनि चालीसा और शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।

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