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राजस्थान

श्री बर्फानी धाम, मेंहदीपुर बालाजी में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा प्रारम्भ, कलश यात्रा में शामिल हुए हजारों भक्त

Neelu Keshari
5 Aug 2024 6:39 AM GMT
श्री बर्फानी धाम, मेंहदीपुर बालाजी में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा प्रारम्भ, कलश यात्रा में शामिल हुए हजारों भक्त
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- कथा से पहले कलश यात्रा निकली जिसमें देश-विदेश से आए हजारों भक्त और स्थानीय नागरिक शामिल हुए

मेंहदीपुर बालाजी। राजस्थान के मेंहदीपुर बालाजी स्थित श्री बर्फानी धाम में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा आज प्रारम्भ हुई। कथा से पहले कलश यात्रा निकली जिसमें देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्त और स्थानीय नागरिक शामिल हुए। व्यास पीठ पर इंदौर के विश्व प्रसिद्ध भागवताचार्य वीरेंद्र व्यास और मूल पाठ विख्यात आचार्य पंडित राकेश दीक्षित कर रहे हैं। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष श्रावण मास में परम संत ब्रह्मर्षि श्री श्री 1008 बर्फानी दादाजी प्रेरणा और आशीर्वाद से मेंहदीपुर बालाजी मे प्रारम्भ हुई। कथा के प्रथम दिवस पर बड़ी संख्या में भक्तों ने व्यास जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया। भागवत कथा के प्रथम दिवस की शुरुआत दीप प्रज्वलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य वीरेंद्र व्यास जी ने भागवत प्रसंग की शुरुआत भागवत के प्रथम श्लोक "सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयम नुमः वासुदेव सुतं देवम् कंस चानुर मर्दनम् देवकी परमानंदम् कृष्णम् वंदे जगदगुरुम्" से की।

इस दौरान व्यास जी ने कहा कि भागवत के प्रथम श्लोक में भगवान को प्रणाम किया गया है, उनके स्वभाव का वर्णन किया गया है, उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। भागवत को समझना भगवान को समझने के बराबर है। आचार्य जी ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि एक बात सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया कि कलियुग के लोगों का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगों की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगों के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई, कारण क्या है क्योंकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है। फिर कलियुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग भागवत कथा बताया। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है।

आचार्य ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा। व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानो भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको मानें, गीता की सुनो और उसकी मानो भी, मां बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुखी नहीं कर पायेगी। जब आपको संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जायेंगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा।

कथा पंडाल में श्रीमद् भागवत कथा के यजमानों कमलेश वशिष्ठ, धर्मेंद्र शर्मा, संजीव कुमार, गुंजन शर्मा, कुमकुम सिंह, मीरा दुबे सहित कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करवाई।

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