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महाकुंभ आस्था, परंपरा का प्रतीक, तो हज इस्लाम का पवित्र स्तंभ और आर्थिक शक्ति

Tripada Dwivedi
14 Jan 2025 4:06 PM IST
महाकुंभ आस्था, परंपरा का प्रतीक, तो हज इस्लाम का पवित्र स्तंभ और आर्थिक शक्ति
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प्रयागराज। धर्म और आस्था की शक्ति सदियों से मानवता को अपनी ओर खींचती आई है। मुक्ति की कामना और आध्यात्मिक शांति के लिए लाखों लोग बिना किसी निमंत्रण के धार्मिक आयोजनों में जुड़ जाते हैं। दुनिया भर में हर धर्म के अनुयायी अपनी परंपराओं को निभाने के लिए एक विशेष स्थान पर एकत्र होते हैं। सनातन धर्म में कुंभ मेला, इस्लाम में हज यात्रा सदियों से धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं। कुंभ मेला लगभग 2500 वर्षों से, हज यात्रा 1400 वर्षों से मनाया जा रहा है।

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन

कुंभ मेले का उल्लेख वेदों में मिलता है लेकिन इसकी शुरुआत की कोई निश्चित तिथि स्पष्ट नहीं है। आज के मानकों के अनुसार, महाकुंभ पृथ्वी का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। यह हर 12 वर्ष में चार धार्मिक स्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, विशेष तिथियों पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से मनुष्य जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। कुंभ मेले में अखाड़ों के संतों का स्नान मुख्य आकर्षण होता है।

भारत में वर्तमान में 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहला शैव अखाड़े,दूसरा वैष्णव अखाड़े और तीसरा उदासीन अखाड़े में बांटा गया है। महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और प्रशासनिक क्षमता का भी अद्भुत उदाहरण हैं।

हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक

हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। यह हर आर्थिक रूप से सक्षम मुस्लिम के लिए जीवन में एक बार करना फर्ज है। हर साल दुनिया भर से लाखों मुसलमान सऊदी अरब के मक्का में एकत्र होते हैं हज इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने, धू अल-हिज्जा में आयोजित होता है। चूंकि इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा आधारित है, इसलिए हज की तिथियां हर वर्ष बदलती रहती हैं।

इतिहास और परंपरा:

हज यात्रा की शुरुआत 628 ईस्वी में हुई थी, यानी लगभग 1400 साल पहले। यह इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी जिसे बाद में हज कहा गया। हज की अवधि पांच दिन होती है और इसका समापन बकरीद के साथ होता है। हज न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि यह सऊदी अरब के लिए एक बड़ा आर्थिक स्रोत भी है। हज से होने वाली यह आय सऊदी अरब की आर्थिक वृद्धि और पर्यटन विकास में महत्वपूर्ण योगदान करती है।

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