Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

जब थाने में प्रधानमंत्री से ही मांग ली गई थी रिश्वत, मिनटों में पूरा थाना हो गया था 'सस्पेंड

Sharda Singh
14 Sep 2023 1:03 PM GMT
जब थाने में प्रधानमंत्री से ही मांग ली गई थी रिश्वत, मिनटों में पूरा थाना हो गया था सस्पेंड
x

जब थाने में प्रधानमंत्री से ही मांग ली गई थी रिश्वत, मिनटों में पूरा थाना हो गया था 'सस्पेंड

जिस दौर में हम लोग जी रहे हैं, उसमें आने वाला पल कैसा होगा किसी को पता नहीं होता हैं। कि आने वाला पल कितना आसान या मुश्किल भीड़ी हो सकती, इसकी कल्पना नहीं कर पाते है.सभी तरह की कोशिशों के बावजूद हम केवल इतना कर सकते हैं कि आने वाले पलों की आहट को भांप लें. ताकि हम अपने आंख और कान को खुले रख सके। आज आपके साथ एक वैसी ही कहानी जिक्र कर रही हूं, जिसे जानने के बाद आपको भी भरोसा नहीं हो पाएगा। ऐसा प्रधानमंत्री जो एक छोटी सी शिकायत को लेकर खुद थाने पहुंच जाए और किसी को भनक तक न लगे. ये आखिर कैसे संभव हुआ। और जब तक इस बात का किसी को अहसास हो, तब तक थाने का पूरा आला अधिकारी ही सस्पेंड हो जाए.

दरअसल, यह बात है, 1979 यानि 44 साल पहले की है.तब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह एक व्यक्ति की शिकायत पर अचानक शाम के छह बजे यूपी के इटावा इलाके के ऊसराहार पुलिस स्टेशन पहुंच गए. वह 75 साल के परेशान किसान के रूप में धीमी चाल से थाना परिसर में दाखिल होते है। पीएम होते हुए भी थाने में अकेले और एक फटेहाल, मजबूर किसान की तरह थाने के अंदर जाते है, ताकि थाने में तैनात पुलिसकर्मी उन्हें सही से पहचान न सकें. . थाने में दाखिल होने के बाद, उन्होंने पुलिसकर्मियों से पूछा - दरोगा साहब हैं. जवाब मिला वो तो नहीं हैं. साथ ही एएसआई और अन्य पुलिसकर्मी पूछते हैं कि आप कौन हैं, यहां, क्यों आए हैं?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रपट लिखवानी है. पुलिस वालों ने पूछा- क्या हुआ, हमें बताओ. उन्होंने कहा कि मेरी किसी ने जेब काट ली है. जेब में काफी पैसे थे. इस पर थाने में तैनात एएसआई ने कहा कि ऐसे थोड़े रपट लिखा जाता है. उन्होंने कहा कि मैं, मेरठ का रहने वाला हूं. खेती-किसानी करता हूं. यहां पर सस्ते में बैल खरीदने के लिए पैदल ही वहां से आया हूं. पता चला था यहां पर बैल सस्ते में मिलता है. जब यहां आया तो जेब फटी मिली. जेब में कई सौ रुपए थे. पॉकेटमार वो रुपए लेकर भाग गया.

इस पर पुलिस वालों ने कहा कि तुम पहले ये बताओ मेरठ से चलकर इतनी दूर इटावा आए हो. पैसा गिर गया या जेबकतरों ने पैसे मार लिए, यह कैसे कहा जा सकता है. आप कहते हो, पैसे दिला दो. थाने में मौजूद पुलिसकर्मी ने कहा, हम ऐसे रपट नहीं लिखते. इस पर उन्होंने कहा कि मैं, घर वालों को क्या जवाब दूंगा. मुश्किल से पैसे लेकर यहां आया था. इस पर पुलिसकर्मियों ने कहा कि यहां से चले जाओ, समय बर्बाद मत करो. कुछ देर तक इंतजार करने के बाद फिर किसान ने रपट लिखने की गुहार पुलिसकर्मियों से लगाई. मगर सिपाही ने अनसुना कर दिया. इस पर पीएम चौधरी चरण सिंह एक आम किसान की तरह निराश हो गए.

इतने में, थानेदार साहब भी वहां आ गए, वो भी रपट लिखने को तैयार नहीं हुए. किसान यानी तत्कालीन पीएम परेशान होकर घर लौटने के इरादे से थाने के गेट से बाहर आ गए और वहीं पर खड़े हो गए. थोड़ी देर बाद एक सिपाही को उन पर रहम आया. उसने पास आकर कहा, 'रपट लिखवा देंगे, खर्चा पानी लगेगा'. इस पर चौधरी साहब ने पूछा- 'कितना लगेगा. बात सौ रुपए से शुरू हुई और 35 रुपए देने की बात पर रपट लिखने के लिए थाने वाले मान गए'. बतौर, किसान चौधरी साहब खुश हुए. ये बात सिपाही ने जाकर सीनियर अफसर को बताई. अफसर ने रपट लिखवाने के लिए बुला लिया. रपट लिख कर मुंशी ने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से पूछा, ‘बाबा हस्ताक्षर करोगे कि अंगूठा लगाओगे. थानेदार के टेबल पर स्टैंप पैड और पेन दोनों रखा था. उन्होंने कहा- हस्ताक्षर करूंगा. यह कहने के बाद उन्होंने पैन उठा लिया और साइन कर दिया. साथ ही टेबल पर रखे स्टैंप पैड को भी खींच लिया. इसके बाद थाने का मुंशी सोच में पड़ गया. हस्ताक्षर करेगा तो अंगूठा लगाने की स्याही का पैड क्यों उठा रहा है? किसान बने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने अपने हस्ताक्षर में नाम लिखा, ‘चौधरी चरण सिंह’ और मैले कुर्ते की जेब से मुहर निकाल कर कागज पर ठोंक दी, जिस पर लिखा था ‘प्रधानमंत्री, भारत सरकार.’ ये देखकर पूरे थाने में हड़कंप मच गया. आवेदन कॉपी पर पीएम की मुहर लगा देख पूरा का पूरा थाना सन्न रह गया.

कुछ ही देर में पीएम का काफिला भी वहां पहुंच गया. जिले और कमिश्नरी के सभी आला अधिकारी धड़ाधड़ वहां पहुंच गए. थाने के पुलिसकर्मियों सहित डीएम एसएसपी, एसपी, डीएसपी, अन्य पुलिसकर्मी, आईजी, डीआईजी सबके होठ सूख गए. सभी यह सोचने लगे, अब क्या होगा? पूरे प्रशासिक अमले में किसी को पता नहीं था कि पीएम चौधरी चरण सिंह खुद इस तरह थाने आकर औचक निरीक्षण करेंगे. पूरे प्रशासनिक अमले को परेशान देख पीएम ऊसराहार थाने के सभी कर्मचारियों को सस्पेंड करने का आदेश देते हुए चुपचाप रवाना हो गए. ऐसे थे हमारे देश के प्रधानमंत्री, चौधरी चरण सिंह।

Next Story