Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

मणिपुर में हिंसा के लिए आखिरकार कौन से कारण जिम्मेदार | मनीष कुमार गुप्ता

Shivam Saini
26 July 2023 12:59 PM GMT
मणिपुर में हिंसा के लिए आखिरकार कौन से कारण जिम्मेदार | मनीष कुमार गुप्ता
x

मणिपुर में हिंसा के मूल कारण

मणिपुर में कूकी और मैतेयी समाज का विवाद सालों पुराना

मणिपुर में गुजरी तीन मई को राजधानी इंफाल से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चुराचांदपुर इलाके में हुई हिंसा ने पूरे मणिपुर को अपने आगोश में ले लिया है। मणिपुर में बीते तीन महीने से चल रहीं हिंसा कितनी भयावह है,इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक इस हिंसा में लगभग 140 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि 35000 से ज्यादा लोग मणिपुर से पलायन भी कर चुकें हैं। इतना ही नहीं लगभग 40 हजार से ज्यादा लोग मौजूदा समय में राहत शिविरों में अपनी जिंदगी गुजर बसर करने को मजबूर है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि , मणिपुर में हो रहीं इस हिंसा आखिर कौन जिम्मेदार है। इसके अलावा यहा पर यह सवाल भी उठता है कि मणिपुर में इस हिंसा के पीछे कौन से कारण है जिसकी वजह से यह हिंसा हो रही है। दरसअल आज के इस लेख में हम मणिपुर में शुरू हुई इसी हिंसा की पूरी पृष्ठभूमि की विस्तारपूर्वक समीक्षा करेंगें।

आजादी के बाद से ही शुरू हुई मणिपुर में विद्रोह हिंसा

दरअसल देश की आजादी के पहले तक मणिपुर एक स्वतंत्र रियासत थी। लेकिन देश की आजादी के बाद सन 1949 में मणिपुर रियासत का भारत में विलय कर दिया गया, जिसके बाद मणिपुर राज्य भारत का हिस्सा बन गया । हालांकि मणिपुर राज्य के भारत का हिस्सा बनने के बाद वहां के स्थानीय नागरिकों ने इसका विरोध किया, क्योंकि उनको ऐसा लगता था कि मणिपुर को भारत सरकार ने जबरदस्ती अपना हिस्सा बना लिया। नतीजतन मणिपुर में उग्रवादियों समूह का गठन होना शुरू हुआ। दरअसल इस दौरान मणिपुर और नागा समूहों की मांग थी कि मणिपुर को एक अलग देश का दर्जा दिया जाए जो भारत से अलग बिल्कुल रहें।

कूकी और नागा समूह के बीच विवाद की शुरूआत

दरअसल जब मणिपुर का सन 1949 में भारत में विलय हुआ और इसके बाद 1972 में फिर जब मणिपुर को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला तभी से मणिपुर और नागालैण्ड में कूकी और नागा समुदाय के बीच विवाद शुरू हो गया। दरअसल नागा समुदाय के लोगों ने एक उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नागलैण्ड के नाम से एक संगठन बनाया जिसके तहत वह मणिपुर के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर ग्रेटर नागलैण्ड बनाने की मांग कर रहें थें। ऐसे में नागा समूह के विद्रोही संगठनों की इस मांग का कूकी समुदाय के लोगों ने विरोध किया । क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि नागा विद्रोही उनके क्षेत्रों और भूमि पर अपना अधिकार करना चाहतें हैं। ऐसे में इस वजह से नागा और कूकी समुदायों के बीच विवाद की शुरूआत हो गई।

कूकी और मैतेयी समुदाय के बीच विवाद की मुख्य वजहें

मणिपुर की कुल 28 लाख की आबादी वाली जनसंख्या में कूकी समुदाय की कुल 40 फीसदी जनसंख्या है। जबकि मैतेयी समुदाय की कुल आबादी 53 फीसदी है। ऐसे में आजादी के बाद से ही ईसाई धर्म को मानने वाले कूकी समुदाय को मणिपुर में अल्पसंख्यक के साथ अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है । जबकि मैतेयी समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है। इसके अलावा मैतेयी समाज के लोग कूकी समाज के क्षेत्रों मसलन पहाड़ी इलाकों में जमीन नहीं खरीद सकतें हैं। इसी के बाद से अब मैतेयी समाज के लोग भी खुद को अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहें हैं, जिसका विरोध कूकी समाज के लोग कर रहें है। गौरतलब हो कि बीते तीन मई को इसी विवाद को लेकर दोनों समुदायों के बीच टकराव हुआ जिसके बाद विवाद हुआ।

कांग्रेस की सरकार के समय में भी हुआ था विवाद

मणिपुर में हिंसा कोई आज की बात नहीं है। दरअसल मणिपुर में हिंसा कांग्रेस की सरकार के दौरान भी हुआ था। गौरतलब है कि मैतेयी समाज की अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग काफी पुरानी है। इसको लेकर 2008 में केंद्र सरकार, मणिपुर की राज्य सरकार और कूकी विद्रोहियों की बीच एक समझौता भी हुआ था। इस समझौते के तहत मणिपुर में उग्रवादी गतिविधियों को रोकना प्रमुख लक्ष्य था।

कैसे हुई मणिपुर में हिंसा की शुरुआत

दरअसल मणिपुर हाईकोर्ट के कार्यवाहक न्यायधीश एमवी मुरलीधरन ने अपने एक निर्णय में कहा था कि, राज्य सरकार को मैतेयी समाज की मांगों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि 4 महीने के अंदर राज्य सरकार को मैतेयी समाज की मांगों के संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजना चाहिए।

1958 में बना था सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम

दरअसल 1958 में भी मणिपुर में नागरिक विद्रोह को रोकने के लिए सशस्त्र बल विशेषाधिकार प्रयास अधिनियम बनाया गया था। किया गया। इस अधिनियम के तहत नागरिक विद्रोह को रोकने के लिए प्रयास किया गया था।

1980 में मणिपुर को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था

साल 1980 में भारत सरकार के द्वारा मणिपुर को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। इस दौरान मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में भारतीय सेना की ओर से उग्रवादी संगठनों पर सैन्य कार्रवाई भी की गई थी।

मनीष कुमार गुप्ता

(वरिष्ठ पत्रकार)

9810771477

Next Story