सीएम अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती दे डाली है,
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती दे डाली है,
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को इस साल के अंत तक होने वाले सभी विधानसभा चुनाव की चुनौती से भी निपटना होगा. बीजेपी के लिए इन हिंदी भाषी राज्यों के परिणाम से ही 2024 के लोकसभा चुनाव का रास्ता साफ हो सकती है, इसीलिए बीजेपी खासकर राजस्थान और मध्य प्रदेश में बहुत फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है.वहीं राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने वाली बात को लेकर सीयासी तापमान बढ़ा दी ही। आखिर क्या है इस बयान के पीछे अशोक गहलोत सोच रहे है कहीं यह ब्यान चुनावी दांव तो नहीं?
अशोक गहलोत है राजनीतिक जादूगर
जहां एक तरफ मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, तो वहीं राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है.अशोक गहलोत को राजनीतिक का मंझा हुआ खिलाड़ी यू ही नहीं कहते है। अपनी रणनीतिक चालों के चलते ही उन्होंने पिछली बार अपनी अस्थिर हो चुकी सरकार को भी बचा लिया था. उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट ने सीएम गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी. लेकिन गहलोत अपनी राजनीतिक दांव पेंच से अपनी सिथ्ति बनाए रखी।
वसुंधरा के नाम के पीछे क्या राजनीतिक मतलब?
सीएम अशोक गहलोत बहुत ही सोच समझकर बयान देते हैं. अगर कहीं फंसते हैं तो वहां से यह कहकर निकल जाते हैं कि “मैं तो ऐसे कई बयान देते रहता हूं. हर बात हमेशा मुझे याद नहीं रहती”. राजस्थान में चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों ही पार्टियों में आंतरिक कलह हमेशा से होती आ रही है.बीजेपी अगर वसुंधरा राजे को सीएम चेहरे के रूप में आगे लाती है तो उससे पार्टी में अंदरूनी कलह और बढ़ने की संभावना है. दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे पिछले काफी समय से पार्टी से अलग-थलग कर दी गईं. इसीलिए अशोक गहलोत ने उनके नाम की चुनौती बीजेपी नेतृत्व को दी है, ताकि बीजेपी के अंदरूनी विवाद की लकीर और बड़ी हो सके
वसुंधरा और सतीश पूनिया की नहीं बनी
अशोक गहलोत को अच्छी तरह मालूम है कि बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे के बीच हमेशा से 36 का आंकड़ा रहा. उनके कार्यकाल के दौरान वसुंधरा राजे की फोटो तक पोस्टरों से गायब हो गईं थीं. इसीलिए बीजेपी को मजबूरीवश विधानसभा चुनाव के 8 माह पहले प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बदलना पड़ा.अब चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी को बीजेपी ने नया प्रदेश अध्यक्ष बनाकर वसुंधरा राजे को मुख्य धारा में लाने की कोशिश की है. मई माह के अंत में राजस्थान में मोदी की रैली के मंच पर भी वसुंधरा राजे को ठीक पीएम के बगल वाली कुर्सी पर बैठाया गया था. जिसके राजनीतिक मायने साफ हैं कि बीजेपी वसुंधरा को विधानसभा चुनाव में मुख्य चेहरा बना सकती हैं. बीजेपी का चेहरा बदलने का प्रयोग कर्नाटक में फेल हो चुका है.
गहलोत पहले भी वसुंधरा के नाम का कर चुके हैं प्रयोग
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले भी वसुंधरा राजे के नाम का राजनीतिक उपयोग कर चुके हैं. उन्होंने मई में मोदी की रैली के पूर्व एक बयान दिया था कि पिछली अस्थिर हुई उनकी सरकार बसुंधरा राजे की ही वजह से बची थी. उनके इस बयान के बाद राजस्थान में बड़ा बवाल मच गया था. वसुंधरा और बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अशोक गहलोत पर सियासी फायदे के लिए नाम का उपयोग करने का आरोप लगाते हुए उनसे सुबूत पेश करने की मांग की थी. इस बयान के बाद गहलोत ने बिल्कुल चुप्पी साध ली थी.