Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

NDA ने ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए खेला दांव, इस कद्दावर नेता के कंधों पर अहम भार

Sharda Singh
28 Sep 2023 9:25 AM GMT
NDA ने ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए खेला दांव, इस कद्दावर नेता के कंधों पर अहम भार
x

NDA ने ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए खेला दांव, इस कद्दावर नेता के कंधों पर अहम भार

में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। एनडीए तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने के लिए प्लान तैयार कर चुकी है। हर बार की तरह इस बार भी ओबीसी वोट बैंक पर सभी राजनीतिक दलों की नजर हैं। भाजपा सतर्क हो गई है और अब एक कद्दावर नेता के कंधों पर अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।

केंद्र में एनडीए की तीसरी बार सरकार बनाने के लिए कई तरह की रणनीति बनाई गई है। भाजपा के राष्ट्रीय नेता व केंद्रीय मंत्री सभाएं व रैलियां तो करेंगे ही उसके साथ ही गठबंधन से जुड़े केंद्रीय मंत्री भी सरकार का माहौल बनाने उतरेंगे। मेरठ से इसकी शुरुआत रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास आठवले कर रहे हैं। वह सर्किट हाउस में बैठक के बाद एक अक्टूबर को आइटीआइ साकेत में जन अधिकार रैली करेंगे।

आठवले महाराष्ट्र में ओबीसी मतदाताओं में अच्छा प्रभाव रखते हैं। वह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं। उनका मंत्रालय वंचित समाज व दिव्यांगों से सीधे तौर से जुड़ा होता है। विभिन्न योजनाएं इसी मंत्रालय के माध्यम से संचालित होती हैं। इस समाज के लिए पिछले आठ-नौ साल में कई उल्लेखनीय कार्य हुए हैं जिसका गुणगान केंद्रीय मंत्री करेंगे।

भाजपा ओबीसी मतों के लिए सतर्क

सपा व रालोद ओबीसी मतों अपनी पकड़ का दावा करते हुए डोरे डाल रही हैं। नारी वंदन शक्ति अधिनियम के बहाने से भी विपक्ष ने भाजपा को घेरने की कोशिश की थी। जबकि भाजपा ओबीसी मतों के लिए पहले से ही सतर्क है। भाजपा ने अपने ओबीसी केंद्रीय मंत्री ही नहीं केंद्र सरकार में सहयोगी दलों के ओबीसी मंत्रियों को भी मैदान में उतार दिया है। अब ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए एनडीए ने ओबीसी नेता को ही मैदान में उतारा है। इस बार बीजेपी ने एक कद्दावर नेता के कंधों पर अहम जिम्मेदारी सौंपी है।

भाजपा रालोद-कांग्रेस की सक्रियता से सतर्क हुई

80 सीटों वाला उत्तर प्रदेश भाजपा के साथ ही विपक्ष के लिए भी महत्वपूर्ण है। आइएनडीआइए में भागीदारी और सपा से तालमेल को लेकर रालोद ने भी सधी चाल चली है तो वहीं हाल ही में कांग्रेस ने सक्रियता दिखाई। सेवादल का सम्मेलन शुरू हुआ तो वहीं संगठन के नेताओं ने दौरा बढ़ाया है। इस सक्रियता से भाजपा सतर्क हो गई है।

Next Story