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राजनीति

Loksabha Chunav: काग्रेस का बन गया प्लान- दलित-मुस्लिम गठजोड़ लगाएगा, यूपी पर बढ़ाया फोकस

Trinath Mishra
3 July 2023 6:38 AM GMT
Loksabha Chunav: काग्रेस का बन गया प्लान- दलित-मुस्लिम गठजोड़ लगाएगा, यूपी पर बढ़ाया फोकस
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Loksabha Chunav: लखनऊ। कांग्रेस दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर जोर दे रही है। पार्टी की रणनीति है कि वह दोनों वोटबैंकों को जोड़कर न सिर्फ लोकसभा में करिश्मा दिखा सकती है बल्कि भविष्य में अपना जनाधार वापस पा सकती है। यही वजह है कि इन दोनों वर्गों पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए गांव-गांव संविधान रक्षक तैयार किए जा रहे हैं। ये रक्षक सीधे प्रदेश स्तरीय नेताओं के संपर्क में रहेंगे।

भारत जोड़ो यात्रा में विभिन्न राज्यों में मिले जनसमर्थन के बाद कांग्रेस ने यूपी पर फोकस बढ़ा दिया है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भले ही काफी समय से यूपी नहीं आए हैं लेकिन वे करीब तीन दशक से वनवास झेल रही पार्टी को मुख्यधारा में लाने के लिए ख्वाहिशमंद हैं। वे वरिष्ठ नेताओं के जरिये यहां की सियासी गतिविधियों पर निगाह रखे हुए हैं। शीर्ष नेतृत्व ने दलित-अल्पसंख्यक गठजोड़ को लेकर निरंतर अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इसके तहत अल्पसंख्यक विभाग के जरिये दलित बस्तियों में चाय पर चर्चा अभियान शुरू कराया गया। यह नया प्रयोग है। दलितों के पास जाकर मुस्लिम नेता उनको कांग्रेस में आने का न्योता दे रहै हैं। इसके बाद बुनकर सम्मेलन की तैयारी है। फिर छोटे-छोटे काम धंधे करने वाली जातियों को चिह्नित कर उनका अलग-अलग सम्मेलन होगा।

इसी तरह अनुसूचित विभाग गांवों में युवाओं की टीम तैयार कर रहा है। हर गांव में एक से पांच युवक को संविधान रक्षक की उपाधि दी जाएगी। यह युवक सीधे प्रदेश स्तरीय नेताओं के संपर्क में रहकर गांव की स्थिति की रिपोर्ट देंगे। इससे गांव स्तर पर पार्टी का नेटवर्क तैयार होगा और गांव के सियासी रुझान की जानकारी मिलती रहेगी।

क्यों जरूरी हैं दलित

कांग्रेस अनुसूचित विभाग के अध्यक्ष आलोक प्रसाद कहते हैं कि दलित हमेशा कांग्रेस का वोटबैंक रहा है लेकिन वर्ष 1990 के बाद खिसक गया। अब सियासी हालात बदले हैं। वह कांग्रेस से जुड़ रहा है। संविधान रक्षक बनाओ अभियान के जरिये दलित युवाओं को जोड़ने की कवायद शुरू की गई है। जुलाई तक हर गांव में कम से कम एक संविधान रक्षक बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रदेश में दलितों की स्थिति

प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में 14 सीटें भाजपा, दो बसपा और एक अपना दल ने जीती थी। प्रदेश में करीब 21.1 फीसदी दलित आबादी है। इनमें से सर्वाधिक करीब 11 फीसदी जाटव हैं। इसी तरह 3.3 फीसदी पासी और 3.15 फीसदी वाल्मिकी हैं। सोनभद्र जिले में सर्वाधिक 41 फीसदी दलित आबादी है। कौशांबी में करीब 36 फीसदी, सीतापुर में 31, हरदोई में 31.50, उन्नाव में 30 व रायबरेली में 29.80 फीसदी आबादी दलित हैं। करीब 18 जिले में दलित आबादी 25 फीसदी से अधिक है।

अब कांग्रेस की ओर देख रहा प्रदेश

प्रदेश कांग्रेस के संगठन सचिव अनिल यादव कहते हैं कि दलित व अल्पसंख्यक घर वापसी कर रहा है। छह माह के दौरान हर जिले से तमाम लोगों ने पार्टी की सदस्यता ली है। इसमें अल्पसंख्यक और दलित बहुतायत हैं। यह सुखद संदेश है। पार्टी की ओर से पिछड़ों का मंडलीय सम्मेलन चल रहा है। इसी तरह हर वर्ग का निरंतर सम्मेलन चलता रहेगा।

Trinath Mishra

Trinath Mishra

Trinath Mishra is a senior journalist from Meerut and he has more than 11 years of Print and Digital Media Experience.

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