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राजनीति

ढींडसा की वापसी ने शिअद-भाजपा गठबंधन की रखी नींव, पंजाब की राजनीतिक पिच जल्द उतर सकती हैं दोनों पार्टियां

SaumyaV
7 March 2024 6:27 AM GMT
ढींडसा की वापसी ने शिअद-भाजपा गठबंधन की रखी नींव, पंजाब की राजनीतिक पिच जल्द उतर सकती हैं दोनों पार्टियां
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शिअद-भाजपा गठबंधन होने पर इस बार शिअद को भाजपा के लिए अधिक सीटें छोड़नी पड़ेंगी। पहले भाजपा लोकसभा की तीन और विधानसभा में 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी। पंजाब में 13 लोकसभा और 117 विधानसभा सीटीं हैं। भाजपा इस बार लोकसभा की पांच गठबंधन या छह सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। कृषि सुधार कानूनों को लेकर शिअद ने 2020 के अंत में भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया था।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा के करीबी सुखदेव सिंह ढींडसा ने घर वापसी कर पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) व भाजपा के गठबंधन की नींव रख दी है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने से पूर्व ही दोनों पार्टियां एक साथ फिर से पंजाब की राजनीतिक पिच पर धुआंधार बल्लेबाजी करने के लिए उतरेंगी।

पंजाब की राजनीति में बदलाव तय

शिअद और भाजपा में गठबंधन होने से पंजाब की राजनीति में बदलाव होना तय है, क्योंकि जनवरी माह तक चारकोणीय मुकाबला होने के संभावना थी, लेकिन फरवरी के शुरुआत में इस तस्वीर में बदलाव शुरू हो गया। बिहार में नीतीश कुमार के जदयू से गठबंधन होने के बाद पंजाब भाजपा शिअद से गठबंधन की संभावनाएं तलाशने लगी। गठबंधन की बात सिरे चढ़ रही थी, पर किसानों के दिल्ली कूच के एलान कर देने से इसकी घोषणा टाल दी गई।

यह तय माना जा रहा था कि गठबंधन से पहले सुखदेव सिंह ढींडसा अपनी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) का शिअद में विलय करेंगे। अब पांच मार्च को दोनों पार्टियों का विलय हो गया। शिअद के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने ढींडसा को शिअद का संरक्षक बना दिया।

शिअद ने की वापसी

बता दें कि तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर शिअद ने 2020 के अंत में भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया था। इससे पहले दोनों पार्टियों का गठबंधन 25 वर्ष से था । पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जहां शिअद-भाजपा गठबंधन को नाखून मांस का रिश्ता बताते थे, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसे घी - खिचड़ी का रिश्ता |

शिअद को छोड़नी पड़ेंगी अधिक सीटें

शिअद-भाजपा गठबंधन होने पर इस बार शिअद को भाजपा के लिए अधिक सीटें छोड़नी पड़ेंगी। पहले भाजपा लोकसभा की तीन और विधानसभा में 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी। पंजाब में 13 लोकसभा और 117 विधानसभा सीटीं हैं। भाजपा इस बार लोकसभा की पांच गठबंधन या छह सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा कर सकती है बड़ी घोषणा

सूत्र बताते हैं कि भाजपा भी किसानों में शिअद की साख को पुनः बहाल करवाने के लिए कोई बड़ी घोषणा कर सकती है, जिससे दोनों पार्टियों को फिर करीब आने में दिक्कत नहीं होगी। शिअद के लिए गांव की राह भी खुलेंगे। दोनों ही पार्टियों के लिए यह गठबंधन इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद शिअद जहां राजनीतिक हाशिये पर आ गया था, वहीं, भाजपा को किसानों के कारण पंजाब के गांव में जाने की राह नहीं मिल पा रही थी।

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