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महिला आरक्षण बिल की 5 खास बाते ....181 सीटें रिजर्व और 15 साल का समय।
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महिला आरक्षण बिल की 5 खास बाते ....181 सीटें रिजर्व और 15 साल का समय।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए जो 33% आरक्षण की बात जो कहीं गई, बता दे की महिला आरक्षण विधेयक जो विशेष सत्र के बीच नए संसद भवन की लोकसभा में पेश किया गया. उसे केंद्र सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया है. इस बिल के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल तक के लिए कर दिया है। यानी की 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा.
बता दे की इस विधेयक को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 128वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया है. इस महिला आरक्षण बिल का मतलब यह है कि अब लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला होगी. वर्तमान समय में लोकसभा में 82 महिला सदस्य हैं और अब बिल के कानून बनने के बाद महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें रिजर्व हो जाएंगी. बतादे की इनमें से 33 फ़ीसदी एसटी एससी- के लिए आरक्षित की गई. लेकिन ये आरक्षण राज्यसभा या विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा.
महिला आरक्षण बिल की विशेषताएं क्या हैं ?
यह विधेयक संसद के निचले सदन लोकसभा में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण को पक्का बनाता है. संशोधन के मुताबिक, लोकसभा में सीटों की संख्या का एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होगा.
यह विधेयक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विधान सभा तक विस्तारित किया गया है। अब दिल्ली विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए भी आरक्षित हैं. यह संशोधन सभी भारतीय राज्यों के विधानसभाओं में लागू होगी। जिनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाएं भी शामिल होंगी.
इस विधेयक में कहा गया है कि जो सीटे महिलाओं के लिए आरक्षण से संबंधित प्रावधान परिसीमन के बाद लागू किये जाएगे। आरक्षण का लाभ 15 सालों के लिए तय किया गया है.यह बिल लोक सभा, किसी राज्य की विधान सभा और राष्ट्रीय राजधानी की विधान सभा में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण से संबंधित है.|